कोविड वैक्सीन और अचानक हार्ट अटैक के बीच कोई संबंध नहीं: एम्स-दिल्ली का दावा
एम्स में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉक्टरों के पैनल ने बताया कि इस चल रहे अध्ययन में अब तक 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में हुई 300 अचानक मौतों की जांच की गई है।;
एम्स-नई दिल्ली और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के सहयोग से कराए गए एक अध्ययन में यह दावा किया गया है कि कोविड-19 टीकाकरण और युवाओं में अचानक दिल का दौरा पड़ने के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं पाया गया है।
एम्स में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉक्टरों के पैनल ने बताया कि इस चल रहे अध्ययन में अब तक 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में हुई 300 अचानक मौतों की जांच की गई है। हालांकि इनमें सभी ने कोविड-19 वैक्सीन की खुराक ली थी, लेकिन प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार मौत के मुख्य कारण स्वास्थ्य और जीवनशैली से जुड़े कारक अधिक रहे।
एम्स के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एस. नरंग ने कहा, “ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि कोविड-19 टीका अचानक दिल का दौरा पड़ने का कारण बना हो। बल्कि, यह टीके संक्रमण की गंभीरता और उससे जुड़ी जटिलताओं को कम करने में अधिक लाभकारी साबित हुए हैं।”
अध्ययन में पाया गया कि जिन मामलों का विश्लेषण किया गया उनमें सबसे आम कारण हार्ट अटैक था, जो अक्सर धूम्रपान, रक्त के थक्के, शराब के सेवन और धमनियों में रुकावट जैसी जीवनशैली से जुड़ी आदतों से जुड़ा था।
उन्होंने बताया, “करीब 50 फीसदी मामलों में यह सामने आया कि पीड़ित व्यक्ति धूम्रपान और शराब के सेवन की आदत रखते थे।”
दूसरा प्रमुख कारण “नेगेटिव ऑटोप्सी” था, यानी पोस्टमॉर्टम के दौरान कोई स्पष्ट कारण या असामान्यता नहीं पाई गई।
एम्स के पैथोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर ने कहा, “जहां बुजुर्गों में दिल की धमनियों में रुकावट के कारण हार्ट अटैक होना आम है, वहीं युवाओं में यह मौतें आनुवंशिक हृदय रोग, अत्यधिक शराब सेवन, नशे या कोविड के बाद जरूरत से ज्यादा व्यायाम से भी जुड़ी हो सकती हैं।”
कुछ मौतों का संबंध उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, ज्यादा कोलेस्ट्रॉल, मानसिक तनाव, पेट की चर्बी जैसी जीवनशैली से होने वाली हृदय समस्याओं से भी पाया गया।
उन्होंने सलाह दी कि इन जोखिमों को कम करने के लिए नियमित व्यायाम करें और फलों व सब्जियों से भरपूर संतुलित आहार लें।
पैनल ने यह भी बताया कि कोविड संक्रमण के कारण बने रक्त के थक्के कई मामलों में दिल की सेहत के लिए गंभीर खतरा साबित हुए हैं। एम्स के हेमेटोलॉजी विभाग ने कहा कि कुछ मरीजों में यह थक्के कोविड के बाद विशेष रूप से खतरनाक रहे।