रक्षा बंधन तिथि: 30 या 31 अगस्त..कब है रक्षाबंधन, न हों कंफ्यूज, जानिए कब है शुभ मुहूर्त?

Update: 2023-08-13 05:21 GMT

30 अगस्त को ही श्रावणी उपाकर्म और रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. काशी के ज्योतिषियों ने रक्षाबंधन के त्योहार को लेकर चल रहे भ्रम को दूर कर दिया है. शनिवार को काशी विद्वत परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो. प्रो. रामचन्द्र पांडे की अध्यक्षता में हुई बैठक में सर्वसम्मति से तारीख पर निर्णय लिया गया.

ज्योतिषाचार्य प्रो.रामचंद्र पांडे ने धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु ग्रंथों का हवाला देते हुए बताया कि यदि पूर्णिमा का मान दो दिनों के लिए प्राप्त हो रहा हो तो पहले दिन सूर्योदय के एक घंटे बाद पूर्णिमा प्रारंभ होती है और दूसरे दिन दिन, पूर्णिमा छह घंटे से भी कम समय की हो रही है। अतः रक्षाबंधन भद्रा रहित काल में एक दिन पूर्व ही मनाना चाहिए। 31 अगस्त को पूर्णिमा छह घंटे से भी कम मिल रही है। 30 अगस्त की रात 9 बजे तक भद्रा है, इसलिए 30 अगस्त की रात में भद्रा के बाद रक्षाबंधन मनाना शास्त्र सम्मत होगा। रात्रि में भी रक्षाबन्धन का विधान है।

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडे ने भी विभिन्न पंचांगों और शास्त्रों में दिए गए पूर्णिमा के महत्व की समीक्षा कर 30 अगस्त को रक्षाबंधन मनाए जाने का समर्थन किया. बैठक में ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. गिरजा शंकर, पूर्व ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय, प्रो. रामजीवन मिश्र, प्रो. शत्रुघ्न त्रिपाठी, डॉ. सुभाष पांडे आदि मौजूद रहे।

उपाकर्म में भद्रा दोष नहीं लगता है

उपाकर्म भी श्रावण पूर्णिमा का महत्वपूर्ण कर्म है। शास्त्रों के अनुसार शुक्ल यजुर्वेद के तैत्रिय को छोड़कर अन्य उपाकर्म 30 को तथा तैत्रिय शाखा के लिए 31 को उदय व्यापिनी पूर्णिमा पर करना शास्त्र सम्मत होगा। यदि पूर्णिमा खंड रूप में दो दिन प्राप्त हो तो दूसरे दिन पूर्णिमा दो/तीन घटी से अधिक तथा छह घटी से कम हो तो शुक्ल यजुर्वेद की तैत्रिय शाखा के लोगों को श्रावणी उपाकर्म करना चाहिए। दूसरे दिन और अन्य सभी के लिए शुक्ल यजुर्वेदीय। शाखा के लोगों को श्रावणी उपाकर्म एक दिन पहले यानि 30 अगस्त को ही करना चाहिए।

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