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डॉ. चेतन आनंद (कवि-पत्रकार)
गाजियाबाद। आज का युवा समाज में सबसे सक्रिय, जागरूक और तकनीकी रूप से सक्षम वर्ग माना जाता है। वर्ष 1995 से 2010 के बीच जन्मी जेनरेशन जी (GEN-Z ) न केवल डिजिटल दुनिया में माहिर है, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति भी संवेदनशील है। हालांकि, इसके साथ ही इस पीढ़ी में बढ़ती नफरत, असंतोष और आक्रोश भी एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। यदि इसे अनदेखा किया गया तो भविष्य में इसके दुष्परिणाम समाज, परिवार और देश दोनों पर पड़ सकते हैं।
बढ़ते आक्रोश और नफरत के कारण
1-डिजिटल युग और सोशल मीडिया दबाव-जेन जी ने अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा सोशल मीडिया पर बिताया है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक और ट्विटर जैसी प्लेटफार्म पर लगातार तुलना, ट्रोलिंग और फेक न्यूज उन्हें मानसिक तनाव और आक्रोश की स्थिति में ले जाती है। वर्चुअल दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश और रियल दुनिया में असफलता का अनुभव नकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा देता है। टिम एल्मोर के शब्दों में- हमारे समाज में बुरे बच्चे नहीं हैं; हम ऐसे बच्चों का सामना कर रहे हैं जो बहुत जल्दी बहुत कुछ जान गए हैं। यह उद्धरण दर्शाता है कि GEN-Z की जानकारी की अधिकता और डिजिटल युग में बढ़ती जानकारी के कारण वे मानसिक दबाव और असंतोष का सामना कर रहे हैं।
2-रोजगार और भविष्य की अनिश्चितता-उच्च शिक्षा और कौशल के बावजूद रोज़गार की असुरक्षा जेन ज़ी के लिए चिंता का प्रमुख कारण है। युवाओं को नौकरी में प्रतिस्पर्धा, वेतन असमानता और स्टार्टअप या फ्रीलांसिंग में असफलता जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। यह निराशा और असंतोष धीरे-धीरे आक्रोश में बदल जाता है।
3-सामाजिक असमानता और राजनीतिक अविश्वास-अमीरी-गरीबी का अंतर, भ्रष्टाचार और राजनीतिक व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी GEN-Z को समाज से दूर करती है। यह असंतोष आक्रोश में बदलकर न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि सार्वजनिक रूप से भी व्यक्त होता है। पंकज मिश्रा लिखते हैं- वह समय आ गया है जब असंतोष और आक्रोश ने वैश्विक राजनीति और समाज को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। यह उद्धरण वैश्विक स्तर पर बढ़ते असंतोष और आक्रोश की गंभीरता को उजागर करता है।
4-परिवार और सामाजिक संरचना में बदलाव-संयुक्त परिवार की टूटती संरचना, बढ़ता अकेलापन और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां युवाओं के आक्रोश में योगदान देती हैं। परिवारिक और सामाजिक समर्थन की कमी उन्हें असंतोषपूर्ण और उग्र बनाती है।
5-सामाजिक न्याय और पर्यावरणीय मुद्दे-लैंगिक असमानता, जातीय भेदभाव, पर्यावरणीय संकट और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियां GEN-Z के मन में संवेदनशीलता तो बढ़ाती हैं, लेकिन साथ ही असहायता और आक्रोश की भावना भी उत्पन्न करती हैं।
GEN-Z ने कहां-कहां किया हिंसक प्रदर्शन
1-लद्दाख (भारत)-लद्दाख में राज्य-स्तर की मांग को लेकर युवा प्रदर्शन हुए, जिनमें कुछ अराजकता व हिंसा भी हुई। विरोध प्रदर्शन में युवाओं ने भाजपा कार्यालय और अन्य सरकारी इमारतों को आग लगाई। परिणामस्वरूप कम से कम 4 लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए। सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष भी हुआ, पुलिस को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी वाहनों, स्थानीय कार्यालयों को आग लगाई और तोड़फोड़ की। इस घटना के बाद लद्दाख के प्रमुख कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को गिरफ्तार किया गया।
2-नेपाल में विरोध प्रदर्शन-नेपाल में हाल ही में सोशल मीडिया प्रतिबंध, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को लेकर युवा आंदोलन हुए। इन प्रदर्शनों में सरकारी इमारतों पर हमला, संसद भवन में घुसपैठ, तोड़फोड़, आग लगाने की घटनाएं हुईं। मृतकों की संख्या 70 से ज़्यादा बताई जा रही है और घायल लोगों की संख्या 2,000$ के आसपास। इस हिंसा के कारण निजी और सरकारी संपत्ति को व्यापक क्षति हुई। आर्थिक नुकसान का अनुमान लगभग $22.5 बिलियन तक लगाया गया है, जो नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा असर है।
3-मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल, भारत)-वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन मुर्शिदाबाद में हिंसक हुए। वहां प्रदर्शनकारियों ने घरों पर हमला किया, पुलिस वाहनों को आग लगाई और ट्रेन सेवाओं में रुकावट डाली। इस हिंसा में कम से कम 3 लोग मारे गए, 10 लोग घायल हुए और कई लोगों को स्थानांतरित होना पड़ा। 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया।
4-मैडागास्कर-वहां “GEN-Z मैडागास्कर” नामक समूह ने बिजली कटौती, भ्रष्टाचार व अन्य समस्याओं के खिलाफ विरोध किया। प्रदर्शन शांतिपूर्ण शुरू हुआ लेकिन बाद में हिंसा और आगजनी में बदल गया। कम से कम 5 लोगों की जान गई। सरकारी व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा, हवाई यात्राएं प्रभावित हुईं।
आक्रोश और नफरत का निवारण
1-मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान-जेन ज़ी के मानसिक स्वास्थ्य को कलंकित न मानते हुए स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों में काउंसलिंग और माइंडफुलनेस कार्यक्रमों को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। यह युवा अपनी भावनाओं को समझने और नियंत्रित करने में सक्षम होंगे।
2-शिक्षा और कौशल विकास-शिक्षा केवल सैद्धांतिक नहीं, बल्कि व्यावहारिक और रोजगारोन्मुख होनी चाहिए। स्किल-बेस्ड ट्रेनिंग, इंटर्नशिप और उद्यमिता के अवसर युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेंगे।
3-सकारात्मक सोशल मीडिया उपयोग-डिजिटल साक्षरता और मीडिया लिटरेसी बढ़ाने से जेन ज़ी ऑनलाइन ट्रोलिंग, हेट स्पीच और फेक न्यूज़ से बच सकता है। इसके साथ ही सोशल मीडिया का उपयोग सकारात्मक बदलाव के लिए किया जा सकता है।
4-सांस्कृतिक और सामाजिक जुड़ाव-खेल, कला, साहित्य और सामुदायिक गतिविधियों में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने से उनकी ऊर्जा सकारात्मक दिशा में लगाई जा सकती है। परिवार और समाज में उनकी सहभागिता उन्हें भावनात्मक स्थिरता और संतोष प्रदान करती है।
5-नीतिगत सहयोग और निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी-युवाओं को नीति निर्माण और निर्णय प्रक्रिया में शामिल करना ज़रूरी है। रोजगार, स्टार्टअप, उद्यमिता और सामाजिक न्याय के लिए सरकारी और निजी स्तर पर सहयोग उन्हें समाज और देश की सकारात्मक दिशा में जोड़ता है।
भविष्य की दिशा
GEN-Z का आक्रोश यदि सही दिशा में मोड़ा जाए तो यह सकारात्मक क्रांति का आधार बन सकता है। तकनीकी नवाचार, सामाजिक सुधार और पर्यावरण संरक्षण में यह पीढ़ी अग्रदूत बन सकती है। मार्टिन लूथर किंग जूनियर कहते हैं-“हिंसा के माध्यम से आप नफरत करने वाले को मार सकते हैं, लेकिन नफरत को नहीं। वास्तव में हिंसा केवल नफरत को बढ़ाती है। यह स्पष्ट करता है कि आक्रोश और हिंसा से न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक स्तर पर भी समस्याएं बढ़ती हैं, और समाधान के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। यदि इसे अनदेखा किया गया, तो बढ़ती नफरत और असंतोष हिंसा, नकारात्मक आंदोलनों और सामाजिक विखंडन का कारण बन सकते हैं।
नीति निर्माण में युवाओं को शामिल करना अनिवार्य
इसलिए आवश्यक है कि परिवार, समाज, शिक्षा व्यवस्था और सरकार मिलकर जेन जी के आक्रोश को सकारात्मक दिशा में मोड़ें। GEN-Z में बढ़ती नफरत और आक्रोश समय और परिस्थितियों का परिणाम हैं। इसे नियंत्रित और सकारात्मक बनाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास, सामाजिक सहभागिता और नीति निर्माण में युवाओं को शामिल करना अनिवार्य है। यदि यह किया गया, तो जेन ज़ी न केवल समाज की समस्याओं का सामना कर सकेगी, बल्कि नवाचार, सुधार और सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक सृजनशील और परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में उभर सकती है।