Begin typing your search above and press return to search.
India News

ध्यान साधना से परमात्मा का साक्षात्कार सम्भव : आचार्य आनन्द पुरुषार्थी

Anjali Tyagi
7 Nov 2025 4:06 PM IST
ध्यान साधना से परमात्मा का साक्षात्कार सम्भव : आचार्य आनन्द पुरुषार्थी
x
आर्य समाज कविनगर का 51वां त्रिदिवसीय वार्षिकोत्सव का हुआ भव्य शुभारम्भ

गाजियाबाद। आर्य समाज कविनगर का 51 वां त्रिदिवसीय वार्षिकोत्सव का भव्य शुभारम्भ हुआ। होशंगाबाद से पधारे आचार्य आनंद पुरुषार्थी के ब्रह्मत्व में महायज्ञ संपन्न हुआ।मुख्य यज्ञमान मनोरमा शर्मा एवं अशोक शर्मा,पूनम चौधरी एवं प्रदीप चौधरी रहे।यज्ञोप्रांत आचार्य जी ने यज्ञमानों को आशीर्वाद दिया और सुखद जीवन की प्रभु से प्रार्थना की। मुजफ्फर नगर से पधारे आर्य जगत के सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक आचार्य कुलदीप विद्यार्थी एवं ज़बर सिंह आर्य ने ईश्वर का स्वरुप विषय पर विस्तृत चर्चा करते हुए ईश्वर भक्ति के सुन्दर भजनों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

यज्ञ के ब्रह्मा एवं मुख्य वक्ता आचार्य

आनंद पुरुषार्थी ने ईश्वर का वास्तविक स्वरुप विषय पर विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि वैदिक संध्या मंत्रो से ध्यान करने पर परमात्मा का साक्षात्कार हो सकता है और परमानद की अनुभूति हो सकती है।उन्होंने आगे बताया कि हमारे शरीर में दस प्राण वह वायु हैं जो जीवन और कार्यक्षमता के लिए आवश्यक हैं और इन्हें दो श्रेणियों में बांटा गया है।पांच मुख्य प्राण (प्राण,अपान,उदान,व्यान और समान) और पांच उप-प्राण (नाग,कूर्म,देवदत्त,कृकला और धनंजय) हैं।प्राण हृदय में स्थित,श्वास लेने और छोड़ने में मदद करता है।यह हृदय की कार्यक्षमता को नियंत्रित करता है।अपान नाभि से पैरों तक फैला, मल-मूत्र,और गर्भ के निष्कासन में मदद करता है।उदान कंठ से सिर तक,वाणी और भाषण को नियंत्रित करता है।व्यान पूरे शरीर में व्याप्त सभी शारीरिक कार्यों को संतुलित रखता है।समान हृदय और नाभि के बीच भोजन के पाचन और सप्त धातुओं के निर्माण में मदद करता है।नाग डकार को नियंत्रित करता है।कूर्म पलक झपकाने जैसी संकुचन कारी गतिविधियों को नियंत्रित करता है।कृकला छींक को नियंत्रित करता है।देवदत्त जम्हाई को नियंत्रित करता है।धनंजय पूरे शरीर में व्याप्त रहता है और मृत्यु के बाद भी शरीर में कुछ समय तक बना रहता है।

युवा वर्ग की भावनाएं सनातन संस्कृति व देश भक्ति के प्रति सुदृढ़ होती हैं

मुख्य अतिथि समाजसेवी एवं उद्योग पति हिमांशु गर्ग का अधिकारियों ने पीतवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। विशिष्ठ अतिथि के रूप में पधारे डा आर के आर्य ने कहा कि आर्य समाज से जुड़ने पर युवा वर्ग की भावनाएं सनातन संस्कृति व देश भक्ति के प्रति सुदृढ़ होती हैं। इसलिए युवा पीढ़ी को आगे लाएं। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वामी सूर्यवेश ने कहा कि परमात्मा का मुख्य और निज नाम ओ३म् है,स्नान आदि से निवृत्त होकर उसका जप करने और उसके ध्यान में बैठने से सुख शांति प्राप्त होगी और प्रभु का साक्षात्कार होगा। इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री आर डी गुप्ता,योगी प्रवीण आर्य,डा प्रमोद सक्सेना,हरवीर सिंह,सत्य पॉल आर्य,आशा रानी आर्या,सुमन चौहान, बृजपाल गुप्ता, चंद्रशेखर प्रताप,प्रेमपाल शर्मा,रणधीर सिंह, रविंद्र आर्य एवं अंजना गोयल आदि उपस्थित रहे। मंच का कुशल संचालन मंत्री लक्ष्मण सिंह चौहान ने किया।प्रधान वीके धामा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समाज के पुरोहित आचार्य प्रमोद शास्त्री ने शांति पाठ कराया और प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।


Next Story