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बसंत जीवन में श्रेष्ठ बनने का संदेश देती है -आचार्या श्रुति सेतिया

Nandani Shukla
4 Feb 2025 6:33 PM IST
बसंत जीवन में श्रेष्ठ बनने का संदेश देती है -आचार्या श्रुति सेतिया
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गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "बसंत पंचमी का महत्व" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल से 698 वां वेबिनार था। वैदिक विदुषी श्रुति सेतिया ने कहा है। भारत पर्वों,उत्सवों का देश है।यहां साल के बारह महीनों में कोई ना कोई उत्सव एवं पर्व मनाए जाते हैं। पृथ्वी का यह एक ऐसा भूभाग है जहां वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर और हेमंत छः ऋतुएं होती हैं वैसे तो सभी ऋतुओं का अपना अपना महत्व है,परंतु वसंत ऋतु का अपना अलग विशिष्ट महत्व है।इसलिए वसंत ऋतुओं का राजा कहलाता है। इसमें प्रकृति का सौंदर्य सभी ऋतुओं से बढ़ कर होता है।जब सरसों पीली होकर धरती पर अपना स्वर्णिम रूप बख़ेर देती है,गेहूं की बालियां खेतों में लहराने लगती हैं,धरती पर बहार आ जाती है और मानव मन मदमस्त हो जाता है।बसंत ऋतु का आगमन माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी से माना जाता है।

ऋतुराज वसंत का बड़ा महत्व है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह ऋतु बड़ी ही उपयुक्त है।बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की अधिष्ठानी सरस्वती देवी का जन्म हुआ था।इसलिए इस दिन सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है।ये बुद्धि प्रदाता है।यह दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है।सिखों के दसवें गुरु,गुरु गोविंद सिंह जी का विवाह भी इस दिन हुआ था।

बसंत पंचमी का लाहौर निवासी वीर हकीकत राय से भी गहरा संबंध है। धर्म पर बलिदान होने वाले वीर हकीकत राय की याद में यह दिवस मनाया जाता है।बसंत पंचमी के दिन विद्यालयों में सरस्वती पूजन किया जाता है एवं ज्ञान की अधिष्ठानी देवी सरस्वती के प्रति अपनी कृतज्ञता एवं सम्मान व्यक्त किया जाता है।मां सरस्वती का सुंदर विग्रह स्वरूप हमें जीवन को श्रेष्ठ और सुमंत बनाने की प्रेरणा देता है।मां सरस्वती के चार हाथ ओर उसमें धारण की हुई वस्तुएं मूक रूप से हमें प्रेरणा देती हैं कि हम स्वच्छता,स्वाध्याय,सादगी और श्रेष्ठता को अपने जीवन में धारण करें।हम श्रेष्ठ साहित्यों का अध्ययन करें और जीवन में ज्ञान प्राप्त कर उसे श्रेष्ठ बनाएं।यदि हम इन गुणों को आत्मसात कर सकें तो निश्चित रूप से हमारा जीवन भी बसंत ऋतु की तरह सुंदर और सुहावना हो जाएगा और सफलता रूपी पल्लवों से पुष्पित ओर सुशोभित होगा।इस प्रकार सनातन संस्कृति का यह पर्व हमें चहूं और से अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाने का संदेश देता है।

मुख्य अतिथि आर्य नेत्री डॉ. कल्पना रस्तोगी व अध्यक्ष कुसुम भंडारी ने भी अपने विचार रखे।परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन करते हुए वीर हकीकत राय को युवाओ के लिए प्रेरणा स्रोत बताया।प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया। गायिका पिंकी आर्य, संतोष धर, कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा, अनिता रेलन आदि ने मधुर भजन सुनाए।

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