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स्वामी आर्य वेश सरस्वती पुनः सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के निर्विरोध अध्यक्ष मनोनीत, चिंतन शिविर में PM के नाम सप्त संकल्प मांगपत्र प्रस्ताव पारित

Shilpi Narayan
22 Sept 2025 5:20 PM IST
स्वामी आर्य वेश सरस्वती पुनः सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के निर्विरोध अध्यक्ष मनोनीत, चिंतन शिविर में PM के नाम सप्त संकल्प मांगपत्र प्रस्ताव पारित
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आर्य समाज की 150 वीं वर्षगांठ राष्ट्र की आत्मा को पुनर्जीवित करने वाला ऐतिहासिक पर्व-स्वामी आर्यवेश

नई दिल्ली। आर्य समाज मंदिर शालीमार बाग,नई दिल्ली में आर्य समाज के विश्व स्तर के सर्वोच्च संगठन सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के दो दिवसीय अधिवेशन और चिंतन शिवर में महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200 वीं जन्म जयंती एवं आर्य समाज की स्थापना की 150 वीं वर्षगांठ पर साधारण सभा की बैठक में स्वामी आर्य वेश सरस्वती जी को सर्वसम्मति से अध्यक्ष मनोनीत करते हुए नई कार्यसमिति के चयन का अधिकार भी दिया गया।

आधुनिक जीवन मूल्यों को वैदिक दृष्टिकोण से स्थापित

सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश जी ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती की द्विशतवार्षिकी और आर्य समाज की 150 वीं वर्षगांठ केवल किसी संगठन का उत्सव नहीं है,बल्कि यह राष्ट्र की आत्मा को पुनर्जीवित करने वाला ऐतिहासिक पर्व है। सभा के महामंत्री प्रो. विट्ठल राव आर्य जी ने कहा कि महर्षि दयानन्द ने समाज से अंधविश्वास,पाखंड, जातिवाद,अस्पृश्यता जैसी कुरीतियों को दूर करने का अभियान चलाया और वैदिक शिक्षा,स्त्री-शिक्षा, स्वतंत्रता एवं सामाजिक न्याय जैसे आधुनिक जीवन मूल्यों को वैदिक दृष्टिकोण से स्थापित किया।

वैदिक विचारधारा से युक्त युवाओं की भागीदारी

युवा संन्यासी स्वामी आदित्यवेश सरस्वती जी महराज ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि आज जब भारत अमृतकाल की ओर अग्रसर है, तब ऋषि दयानन्द का विश्व गुरु और सशक्त आर्यवृत राष्ट्र के नव निर्माण में वैदिक विचारधारा से युक्त युवाओं की भागीदारी संदेश और भी प्रासंगिक हो जाता है। सार्वदेशिक सभा के अधिवेशन में अनिल आर्य का स्वामी आर्य वेश व गंगा शरण आर्य द्वारा स्वागत किया गया। युवाओं को सुधार आंदोलन से जोड़ने की आवश्यकता पर बल देते हुए विशेष आमंत्रित सदस्य ओमेन्द्र आर्य जी कहा कि आर्य समाज युवाओं के बीच वैदिक संस्कृति को प्रचारित प्रसारित करने में अपनी वैचारिक शक्ति लगाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ी वैदिक संस्कृति और राष्ट्रनिर्माण में सक्रिय भागीदारी निभा सके।

दो दिवसीय चिंतन शिविर में आर्य समाज की सर्वोच्च सभा ने प्रधानमंत्री के नाम सप्त संकल्प मांगपत्र प्रस्ताव पारित किया।

1- राष्ट्र निर्माण और स्वतंत्रता आंदोलन में आर्य समाज के योगदान के दृष्टिगत देश की राजधानी दिल्ली में महर्षि दयानन्द सरस्वती की स्मृति मे अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय की स्थापना की जाए।

2 - केंद्र सरकार की जनकल्याण की महत्वाकांक्षी योजना का नामकरण महर्षि दयानंद के नाम पर किया जाए।

3 - टंकारा (गुजरात) एवं भिनाय कोठी,अजमेर (राजस्थान) को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिया जाए।

4 - आर्य समाज के गुरुकुलों के पुनरुत्थान हेतु 200 करोड़ रुपये व वेद प्रचार हेतु 150 करोड़ रुपए का विशेष अनुदान दिया जाए।

5 - वैदिक पुरोहितों को योग्यतानुसार मानदेय की व्यवस्था दिया जाए।

6 - जेवर उत्तर प्रदेश में बन रहे एयर पोर्ट का नामकरण महर्षि दयानन्द सरस्वती एयर पोर्ट रखा जाए ।

7 - महर्षि दयानन्द सरस्वती के नाम को आधुनिक भारत के महानतम दार्शनिकों एवं राष्ट्रनिर्माताओं की सूची में आधिकारिक रूप से सर्वोच्च स्थान पर रखा जाए।

अधिवेशन में लगभग 20 प्रांतों की प्रांतीय प्रतिनिधि सभाओं के प्रतिनिधियों और देश विदेश के अनेकों डेलीगेटस बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।प्रतिनिधियों ने आगामी 50 वर्षों के लिए आर्य समाज के कार्यक्रमों की रूपरेखा भी तय की, जिससे संगठन को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई दिशा मिल सकेगी।अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन में माननीय प्रधानमंत्री महोदय के आने की स्वीकृति को प्रतिनिधि सभा ने आर्य समाज को साथ लेकर चलते हुए वेदमय कुरीतिमुक्त एवं सशक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में केन्द्र सरकार का निर्णायक कदम बताते हुए सराहना की।

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