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मेवाड़ विवि के कुलाधिपति डॉ. अशोक कुमार गदिया से विशेष साक्षात्कार
गाजियाबाद। डॉक्टर अशोक कुमार गदिया का जन्म भक्ति और शक्ति के संगमस्थल राजस्थान के चित्तौड़गढ़ ज़िले में हुआ। आपने बीकॉम, एफसीए और पीएचडी कर शिक्षा के क्षेत्र में अपना एक अलग मुकाम बनाया है। आपकी कीर्ति देश-विदेश तक फैली हुई है। आपके कर्मों की सुगंध से हज़ारों नौजवान महक रहे हैं। आप वर्तमान में मेवाड़ विश्वविद्यालय के कुलपति, मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन सहित एक दर्जन शिक्षा संस्थानों के पदेन अध्यक्ष एवं सदस्य हैं। आप एक सजग लेखक और समाज की विसंगतियों और समस्याओं के बीच में समाधान तलाश करते आलेख और कविताएं लिखते हैं। आपकी अब तक एक दर्जन से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनके अलावा आपके विभिन्न शोध पत्र देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। आपको भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय बेस्ट स्काउट अवार्ड, सिविल सोसायटी ग़ाज़ियाबाद द्वारा नगर गौरव सम्मान, सेंटर फॉर एजुकेशन ग्रोथ एंड रिसर्च नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा गौरव सम्मान, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल माननीया श्रीमती आनंदीबेन पटेल द्वारा दिव्य भारत सप्तंग भूषण सम्मान, अखिल भारतीय प्रधान संगठन अलीगढ़ द्वारा भारत गौरव सम्मान, उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक द्वारा लखनऊ में श्रेष्ठ शिक्षाविद् सम्मान सहित अनगिनत सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। सामाजिक और आध्यात्मिक स्तर के अलावा शिक्षा और जीवन पर डॉक्टर अशोक कुमार गदिया के क्या विचार हैं, आइये सुनते हैं उनकी ही ज़ुबानी-
शिक्षा के अलावा अपने विद्यार्थियों को और क्या देना चाहते हैं?
डॉ. गदिया ने कहा कि मेरा मन है कि एक स्वर्णिम और व्यवस्थित भारत का निर्माण हो। जैसे मुझे बालपन से भारतीय संस्कृति और संस्कार मिले हैं मैं ऐसे ही सभी संस्कार अपनी आने वाली पीढ़ी को भी देने में विश्वास रखता हूं। शिष्टाचार, देशप्रेम, जनसेवा, प्राच्य विद्याओं के साथ आधुनिकतम तकनीक और विज्ञान का सामंजस्य, शिल्पकला, साहित्य आदि समावेश में मैं अपने विद्यार्थियों में विकसित करना चाहता हूं। अध्यात्म और भौतिकवाद के समन्वित मूल्यों से नई पीढ़ी को संस्कारित और जागरूक करना चाहता हूं। मेरा मानना है कि एक जागरूक युवा पीढ़ी ही सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र के उत्थान में योगदान दे सकती है। इसलिए मैं यदा-कदा उत्साही छात्रों का चयन करने के लिए स्वयं सुदूर इलाकों का दौरा करने निकल जाता हूं और अपने संस्थानों के लिए समुचित युवाशक्ति का चयन करता हूं। यही कारण है कि हमारे शिक्षण संस्थानों में भारत के 29 राज्यों और भारत के बाहर के 20 देशों के बच्चे पढ़ने आते हैं।
आपके द्वारा स्थापित-संचालित शिक्षण संस्थान कौन-कौन से हैं?
डॉ गदिया- राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में मेवाड़ विश्वविधालय की स्थापना की जिसके वह कुलाधिपति हैं। उन्होंने एनसीआर के गाजियाबाद के वसुंधरा के सेक्टर-4सी में मेवाड़ इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट की स्थापना की, जिसके वे अध्यक्ष हैं। इस इंटिट्यूट के पास में ही उन्होंने मेवाड़ लॉ इंस्टिट्यूट की स्थापना की और इसके भी अध्यक्ष बने। इसके बाद चित्तौड़गढ़ में मेवाड़ गर्ल्स कॉलेज, मेवाड़ गर्ल्स औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र, मेवाड़ गर्ल्स कॉलेज ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग, गांधीनगर, मेवाड़ गर्ल्स आयुर्वेद नर्सिंग सेंटर, मेवाड़ गर्ल्स एलोपैथिक नर्सिंग सेंटर की स्थापना की और आज चित्तौड़गढ़ स्थित इन सभी संस्थानों का संयुक्त सचिव के रूप में संचालन कर रहे हैं। वे भारतीय शिक्षण मंडल मेरठ प्रांत के अध्यक्ष और नई दिल्ली स्थित एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष के रूप में योगदान दे रहे हैं।
लेखक के रूप में आपकी कितनी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं?
डॉ. गदिया-करीब डेढ़ दर्जन पुस्तकें लिखी हैं। तमाम व्यस्तताओं के बावजूद लेखन का सिलसिला जारी है। प्रकाशित पुस्तकों में ‘बस अब बहुत हो चुका (2015)’, ‘मेरी क्रांतिकारी योजना (2015) , सफलता के रहस्य (पहला संस्करण 2016-दूसरा संस्करण 2017), ‘वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप (2018)‘, ‘मेवाड़ मार्ग निर्देर्शिका (2019)‘, ‘भोर की रश्मियाँ (काव्य संग्रह) (2019)‘, ‘तनावरहित जीवन जीने का रहस्य (2021)‘, ‘मेरे अनुभव और इतिहास के झरोखे से कश्मीर (2022)‘, दिल्ली मूल्यवर्द्धित कर अधिनियम 2005 (वैट)‘, ‘ऐसे होगा हमारे नवभारत का निर्माण (2023)‘, ‘श्री गुरु गोविंद सिंह (2023)‘, ‘नया जमाना, नए उजाले (2024)‘, ‘सफलता के सोपान (2025)‘, ‘हमारी चारधाम यात्रा (2025)।’ इसके अलावा जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स-2020) का सहलेखन किया है। अनके शोध पत्र देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।
आपको अब तक कितने सम्मान प्राप्त हो चुके हैं?
डॉ. गदिया- छात्र जीवन से ही विशिष्ट पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता रहा हूं। 1974 में भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति स्काउट्स अवार्ड से सम्मानित किया। 2008 में गाजियाबाद में सिविल सोसाइटी द्वारा नगर गौरव सम्मान, 2018 में सेंटर फॉर एजुकेशन ग्रोथ एंड रिसर्च, नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा गौरव सम्मान, 2019 में उत्तर प्रदेश की गवर्नर आनंदी बेन पटेल द्वारा दिव्य भारत सप्तंग भूषण सम्मान और 2020 में अखिल भारतीय प्रधान संगठन, अलीगढ़ द्वारा भारत गौरव सम्मान मिल चुका है। ऐसे और भी कई सम्मान हैं, जो मिले हैं।
आपका नया संकल्प क्या है?
डॉ. गदिया-पूरे विश्व और हमारे समाज में सबसे तकलीफदेह मुद्दा उग्रवाद का है। इसे नियंत्रित करना परम आवश्यक है। मेरी कोशिश रहेगी कि हम अपने स्तर पर प्रबुद्ध वर्ग में इस मुद्दे को लेकर जाएं। इसका समाधान करें और सभी को सह-अस्तित्व का पाठ पढ़ाएं।
विशेष प्रस्तुति-डॉ. चेतन आनंद (कवि एवं पत्रकार)




