Begin typing your search above and press return to search.
India News

अगले 10 सालों में बदलेगी फ्लैटों की दुनिया: DELHI-NCR में हर दो में से एक परिवार के पास होगा फ्लैट! जानें कैसे

Shilpi Narayan
16 Sept 2025 4:01 PM IST
अगले 10 सालों में बदलेगी फ्लैटों की दुनिया: DELHI-NCR में हर दो में से एक परिवार के पास होगा फ्लैट! जानें कैसे
x

डा. चेतन आनंद

नई दिल्ली। अगले दस वर्षों में भारत में घर और फ्लैट स्वामित्व का परिदृश्य तेजी से बदलेगा। दिल्ली-एनसीआर में 2035 तक हर दो में से एक परिवार फ्लैट में रह रहा होगा। पूरे भारत में लगभग 37 करोड़ परिवारों के पास अपने घर होंगे, जिनमें से 6-7 करोड़ परिवार अपार्टमेंट्स में बसेंगे। यह बदलाव न केवल आवासीय संरचना को बदलेगा, बल्कि भारतीय समाज की जीवनशैली, संस्कृति और अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डालेगा। अपने घर का सपना आने वाले दशक में और अधिक भारतीयों के लिए हकीकत बनेगा। बशर्ते सरकार, निजी क्षेत्र और वित्तीय संस्थान मिलकर अफोर्डेबिलिटी और सस्टेनबिलिटी पर बराबर ध्यान दें।

वर्तमान परिदृश्यः भारत और दिल्ली-एनसीआर

2025 में भारत में कुल परिवारों की संख्या लगभग 36 करोड़ है। घर के स्वामित्व की दर लगभग 85 प्रतिशत (ग्रामीण$शहरी मिलाकर) है। शहरी क्षेत्रों में स्वामित्व लगभग 70 प्रतिशत है। जबकि फ्लैट में रहने वाले परिवार लगभग 3 करोड़ (ज्यादातर महानगरों में) हैं।

दिल्ली-एनसीआर

परिवारों की संख्या (2025) में लगभग 90 लाख है। अपने घर का मालिकाना हक केवल 55-60 प्रतिशत के पास है। फ्लैट या अपार्टमेंट में रहने वाले लगभग 30-35 लाख परिवार ही हैं। कीमतों की बात करें तो एनारॉक की रिपोर्ट (क्यू1 2025) के अनुसार एनसीआर में औसत दर 8,300 रुपए प्रति वर्ग फुट है। यानी 1,000 वर्ग फुट का फ्लैट औसतन 83 लाख रुपये का है। खाली फ्लैट्स (अनसोल्ड स्टॉक) लगभग 85-86 हजार यूनिट्स हैं। (एनारॉक 2024 के आंकड़े)। 10 साल की मूल्य वृद्धि 2015 से 2025 तक एनसीआर में प्रॉपर्टी की कीमतें 60 प्रतिशत से 136 प्रतिशत तक बढ़ीं।

आने वाले दस साल (2025-2035): अनुमान और संभावनाएं

राष्ट्रीय स्तर पर 2035 तक भारत की आबादी 1.52 अरब होगी। कुल परिवार 42 करोड़ तक पहुंचेंगे। 2025 में 36 प्रतिशत आबादी शहरों में रहती है। 2035 तक यह बढ़कर 43-45 प्रतिशत हो जाएगी। इसका अर्थ है कि लगभग 6-7 करोड़ नए शहरी परिवार जुड़ेंगे।

स्वामित्व दर-ग्रामीण भारत में पहले से ही 95 प्रतिशत से अधिक परिवारों के पास अपने घर हैं। शहरी भारत में स्वामित्व 70 प्रतिशत से बढ़कर 78-80 प्रतिशत हो सकता है। यानी 2035 तक भारत में कुल 37 करोड़ परिवारों के पास अपना घर होगा।

फ्लैट्स- वर्तमान में 3 करोड़ परिवारों के पास हैं। 2035 तक अनुमानित 6-7 करोड़ परिवार फ्लैट्स में रहेंगे। दिल्ली-एनसीआर स्तर पर परिवार (2035) लगभग 1.05 करोड़ होंगे। स्वामित्व दर 70 प्रतिशत यानी लगभग 73 लाख परिवार होगी। फ्लैट्स में रहने वाले परिवार 50-55 लाख।

वृद्धि के प्रमुख क्षेत्र

गुरुग्रामः लग्जरी और मिड-सेगमेंट दोनों तरह के अपार्टमेंट्स।

नोएडा-ग्रेटर नोएडाः अफोर्डेबल सहित मिड सेगमेंट फ्लैट्स।

गाज़ियाबाद, फरीदाबादः अफोर्डेबल हाउसिंग बेल्ट।

दिल्ली के द्वारका, नरेला, रोहिणी में मास हाउसिंग प्रोजेक्ट्स।

प्रमुख महानगरों का तुलनात्मक परिदृश्य (2035 तक)

मुंबई में 85 लाख परिवार; 65 प्रतिशत स्वामित्व; 70$ लाख फ्लैट्स।

बेंगलुरु में 45 लाख परिवार; 70 प्रतिशत स्वामित्व; 28-30 लाख फ्लैट्स।

चेन्नई में 30 लाख परिवार; 72 प्रतिशत स्वामित्व; 20 लाख फ्लैट्स।

हैदराबाद में 28 लाख परिवार; 74 प्रतिशत स्वामित्व; 18-19 लाख फ्लैट्स।

कोलकाता में 32 लाख परिवार; 75 प्रतिशत स्वामित्व; 20-22 लाख फ्लैट्स।

स्पष्ट है कि दिल्ली-एनसीआर और मुंबई सबसे बड़े फ्लैट-बाज़ार बने रहेंगे।

उपलब्धियां

सरकारी योजनाएं-प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत 1.18 करोड़ घर स्वीकृत हुए।

रेरा लागू होने के बाद-परियोजनाओं की पारदर्शिता और समय पर डिलीवरी में सुधार आया।

ईएमआई और होम लोन-आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 2015 से 2025 तक हाउसिंग लोन का दायरा तीन गुना बढ़ा।

इंफ्रास्ट्रक्चर विकास-मेट्रो, एक्सप्रेसवे और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स ने नए आवासीय क्षेत्रों को बढ़ावा दिया।

कमियां

अनअफोर्डेबिलिटी-एनसीआर और मुंबई जैसे क्षेत्रों में मध्यम वर्ग के लिए घर अभी भी महंगे हैं।

स्टॉल्ड प्रोजेक्ट्स-हज़ारों खरीदार आज भी अधूरे फ्लैटों का इंतजार कर रहे हैं।

जमीन अधिग्रहण में कठिनाई-नई परियोजनाओं में देरी का बड़ा कारण।

किराये का ढांचा कमजोर-रेंटल हाउसिंग को लेकर अभी भी स्पष्ट नीति का अभाव है।

सुधार के सुझाव

अफोर्डेबल हाउसिंग पर फोकस-सरकार और निजी बिल्डर मिलकर कम लागत वाले फ्लैट विकसित करें।

स्टाल्ड प्रोजेक्ट्स का समाधान-फास्ट-ट्रैक कोर्ट और विशेष फंड से इन प्रोजेक्ट्स को पूरा कराया जाए।

रेंटल हाउसिंग पॉलिसी-शहरी गरीब और प्रवासी श्रमिकों के लिए सस्ती किराये की व्यवस्था विकसित करनी होगी।

ग्रीन और स्मार्ट हाउसिंग-नई कॉलोनियों में ऊर्जा बचत, सोलर पैनल, जल प्रबंधन को अनिवार्य करना चाहिए।

मध्यम वर्ग के लिए सब्सिडी-ब्याज दर पर छूट और टैक्स लाभ को और व्यापक बनाया जाए।

Next Story