
Kranti Diwas 2023:10 मई 1857 की शाम छावनी चर्च में प्रार्थना की तैयारी चल रही थी। तभी एकाएक माहौल भारी हो गया और क्रांति की शुरुआत हो गई। जानें, मेरठ में कैसे भड़की क्रान्ति की ज्वाला

- 10 मई को मरेठ से हुई क्रान्ति की शुरुआत
- चर्बी वाले कारतूस इस्तेमाल करने पर भड़की आग
- आज देशभर में मनाया जा रहा क्रान्ति दिवस
Kranti Diwas 2023: भारत को आजाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सैनिकों का विद्रोह 10 मई को मेरठ से शुरू हुआ था और इस विद्रोह के कारण ही आज हम आजादी में सांस ले पा रहे हैं… अंग्रेजों से लड़ते लड़ते लाखों की तादात में लोग शहीद हुए थे… कुछ लोगों के नाम हम लोगों को याद है जो लीड रोल में रहे… इसके अलावा अनगिनत ऐसे नाम है जिनको हम जानते ही नहीं लेकिन आज के दिन हम उनको भी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं और दिल की गहराइयों से आभार प्रकट करते हैं कि भारत देश को आजाद कराने में उन्होंने जो बलिदान दिया है उसके कारण ही आज हमारा भारत पूरी दुनिया में एक अलग पहचान बना रहा है…
10 मई 1857 की शाम छावनी चर्च में प्रार्थना की तैयारी चल रही थी। तभी एकाएक माहौल भारी हो गया और क्रांति की शुरुआत हो गई। पहले भीषण लपटें सुलगने लगी। कैंट परेड ग्राउंड की ओर से धुआं और धमाकों का शोर उठने लगा।
धमाके सुनकर नौकरों ने घर के दरवाजे बंद कर दिए। कुछ ही मिनटों में अंधेरा गहरा गया, जिसे कहीं-कहीं सरकारी संपत्ति जलने से रोशनी हो रही थी। इसी दौरान चारों ओर से गोलियों का शोर उठने लगा। जिंदगी बचने की कोई उम्मीद न थी। ऐसे में कमिश्नर का परिवार सरकारी आवास की छत पर शरण में चला गया।
कमिश्नर असलाह लोड करने में लग गया। कुछ देर के बाद निचली मंजिल में पहरा दे रहे गार्डों को धकियाते हुए कुछ भारतीय घर में घुस आए। किसी तरह से सब लोग भागकर निकले। उधर, उन लोगों ने घर में तोड़फोड़ की, फिर आग लगा कर चले गए। सुबह हुई तब तक कमिश्नर हाउस राख का ढेर बन चुका था।
10 मई को क्रांति के दिन बड़ी संख्या में अंग्रेज मारे गए। माल रोड पर स्थित थिएटर, जो अब कमांडेंट वर्क्स इंजीनियर्स आफिस के नाम से जाना जाता है और वहां पर रक्षा संपदा कार्यालय चलता है, उस में 50 से अधिक शव भर दिए गए। वैसे सेंट जोंस सिमेट्री के रिकार्ड में 32 शवों के दफनाने की जानकारी है। शेष लोगों का कोई रिकार्ड नहीं है। अंग्रेजों की सबसे अधिक हत्याएं सदर बाजार और पुरानी जेल (अब केसरगंज मंडी) के पास की गई थी।
थर्ड लाइट कैवेलरी के अंग्रेज कमांडर कर्नल कारमाइकल स्मिथ के आदेश पर छह मई 1857 को 85 सैनिकों का कोर्ट मार्शल हुआ। आरोप लगाया कि 24 अप्रैल 1857 को चर्बी लगे कारतूस प्रयोग करने का आदेश इन सैनिकों ने नहीं माना। सैनिकों को नौ मई को विक्टोरिया पार्क जेल में डाल दिया गया। सैनिक जेल तोड़ने की तैयारी में जुट गए थे। वहीं क्रांतिकारी भी इन सैनिकों को जेल से छुड़ाने की योजना में लग गए।
दिन भर विक्टोरिया पार्क पर वेश बदल कर क्रांतिकारी जुटने लगे। 10 मई की शाम जैसे ही क्रांति की ज्वाला भड़की क्रांतिकारियों के साथ ही थर्ड कैवेलरी के भारतीय सैनिक अश्वों पर सवार होकर सशस्त्र पहुंचे और जेल पर हमला बोलकर अपने साथियों को आजाद कराकर ले गए। केसरगंज जेल को भी तोड़कर साथियों को मुक्त करा ले गए।
Kranti Diwas 2023: क्रान्ति दिवस पर विशेष: जानें, मेरठ में कैसे भड़की क्रान्ति की ज्वाला
हम अपने चैनल की तरफ से आप सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देते हैं और उन शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं जिनकी बदौलत आज हम इस अंदाज में आप से बातचीत कर पा रहे हैं और आपके लिए समाचार दे पा रहे हैं…
Trinath Mishra
Trinath Mishra is a senior journalist from Meerut and he has more than 11 years of Print and Digital Media Experience.