यह फैसला विश्वंभर बनाम सॉ. सुनंदा केस की सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें अदालत ने हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 की सीमाओं को स्पष्ट किया।