जांच में सामने आया कि कुछ याचिकाकर्ताओं ने एक साल के अदीब-ए-कामिल कोर्स को एक साल से कम समय में पूरा किया, जबकि कुछ ने इंटरमीडिएट परीक्षा के साल में ही यह डिग्री हासिल कर ली।