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शीतकाल शुरू...चारधाम यात्रा में 12 दिन और बांकी, 25 नवंबर को बंद होंगे बदरीनाथ धाम के कपाट

Aryan
14 Nov 2025 8:30 PM IST
शीतकाल शुरू...चारधाम यात्रा में 12 दिन और बांकी, 25 नवंबर को बंद होंगे बदरीनाथ धाम के कपाट
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बदरीनाथ क्षेत्र में इस समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है।

रूद्रप्रयाग। चारधाम यात्रा का अब आखिरी पड़ाव है। दरअसल केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए पहले ही बंद हो चुके हैं। लेकिन बदरीनाथ धाम अभी भी खुला है और यह यात्रा अभी 12 दिन और चलेगी। बता दें कि 25 नवंबर को बदरीनाथ के कपाट भी बंद हो जाएंगे। इस तरह से इस साल के लिए चारधाम यात्रा पूरी तरह से बंद हो जाएगी।

50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने की यात्रा

जानकारी के मुताबिक, इस साल चारधाम यात्रा ने एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। अब तक लगभग 50 लाख श्रद्धालुओं ने चारधाम की यात्रा की है, जिसे यात्रा के इतिहास में एक खास उपलब्धि माना जा रहा है। बता दें कि बदरीनाथ धाम में फिलहाल यात्रा जारी है, लेकिन बढ़ती ठंड की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखी जा रही है। पर्यटन विभाग ने बताया है कि बीते दिन 13 नवंबर को 2500 भक्तों ने प्रभू बदरीविशाल के दर्शन किए।

बदरीनाथ में ठंड का प्रकोप

बदरीनाथ क्षेत्र में इस समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है। बर्फीली हवाओं की वजह से यहां के नाले जमने लगे हैं। बामणी गांव के पास बहने वाली ऋषिगंगा का पानी पूरी तरह जमकर बर्फ बन गया है। इतना ही नहीं बदरीनाथ क्षेत्र की प्रसिद्ध बदरीश झील पर भी बर्फ की मोटी परत जम चुकी है। बीती रात से तापमान माइनस 8 से 10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को ठंड का सामना करना पड़ता हैं। हालांकि अक्टूबर से ही बदरीनाथ में ठंड ने दस्तक दे दी थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से तापमान में अचानक भारी गिरावट दर्ज हुई है। पहाड़ी इलाकों में बहने वाली कई जलधाराओं की वजह से शीतकाल आ चुका है।

25 नवंबर को बंद होंगे कपाट

25 नवंबर को कपाट बंद होने के बाद प्रशासन पूरी तरह शीतकालीन व्यवस्थाओं में जुट जाएगा। बदरीनाथ धाम के आसपास रहने वाले लोगों को निचले इलाकों में भेजने का काम शुरू होगा, जबकि मंदिर की पूजा-विधि शीतकालीन पड़ाव जोशीमठ के पांडुकेश्वर और नारायणबड़ी में जारी रहेगी। गौरतलब है कि ठंड जैसे-जैसे बढ़ रही है, यात्रा का उत्साह भी धीरे-धीरे शांत होने लगा है, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए यह साल ऐतिहासिक रहा, क्योंकि रिकॉर्ड संख्या में भक्तों ने चारधाम यात्रा पूरी की।



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