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आंध्र प्रदेश के सिम्हाचलम मंदिर में दीवार गिरने से 7 श्रद्धालुओं की मौत, कई घायल, पीएम ने जताया दुख

आंध्र प्रदेश, (शुभांगी)। आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम स्थित श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर में बुधवार तड़के दर्दनाक हादसा हुआ। सिम्हाचलम पर्वत पर स्थित इस मंदिर में दीवार गिरने से कम से कम सात श्रद्धालुओं की मौत हो गई जबकि चार अन्य घायल हो गए। एक अन्य घायल की हालत गंभीर बनी हुई है।
चंदनोत्सव के लिए लगी थी लंबी कतार
यह हादसा बुधवार तड़के करीब 2:30 बजे उस समय हुआ, जब श्रद्धालु ‘निजरूप दर्शन’ के लिए कतार में खड़े थे। यह दर्शन साल में एक बार होने वाले चंदनोत्सव के अवसर पर होता है, जिसमें भगवान के विग्रह से चंदन हटा कर असली स्वरूप का दर्शन कराया जाता है।
भारी बारिश बनी हादसे की वजह
राज्य की गृह मंत्री वंगलापुड़ी अनीता ने मौके पर पहुंचकर बताया कि प्राथमिक जांच में पाया गया कि दीवार हाल की भारी बारिश से भीग गई थी और भूमि के ढीले हो जाने के कारण अचानक गिर गई। दीवार मंदिर के पास बने एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स से सटी हुई थी।
प्रशासन ने तुरंत शुरू किया राहत कार्य
घटना के बाद राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर तत्काल बचाव और राहत कार्य शुरू कर दिया। घायलों को इलाज के लिए किंग जॉर्ज अस्पताल, विशाखापत्तनम में भर्ती कराया गया।
मुख्यमंत्री ने किया मुआवजे का ऐलान
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को ₹25 लाख और घायलों को ₹3 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। साथ ही, दीवार गिरने की घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
प्रधानमंत्री ने भी जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर शोक प्रकट करते हुए मृतकों के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की सहायता देने की घोषणा की। उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
परंपरागत रूप से हुआ निजरूप दर्शन
चंदनोत्सव के अवसर पर भगवान वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामी को उनके असली स्वरूप में दर्शन के लिए प्रस्तुत किया जाता है। इस वर्ष भी हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे थे। रात 1:00 बजे ‘सुप्रभाता सेवा’ के साथ भगवान को जगाया गया, इसके बाद चांदी की खुरचनी से मूर्ति से चंदन हटाया गया और निजरूप दर्शन कराए गए।
परंपरा अनुसार हुआ अभिषेक और पहली भेंट
वेद मंत्रों के साथ विशेष अभिषेक किया गया। मंदिर के वंशानुगत न्यासी पुषपति अशोक गजपति राजू और उनके परिवार को सबसे पहले दर्शन और चंदन अर्पण का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से राजस्व मंत्री अनगनी सत्य प्रसाद ने भगवान को रेशमी वस्त्र भेंट किए।