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आस्था और आधुनिकता का संगम: श्री काशी विश्वनाथ धाम, जानें पहले और अब में कितना आया अंतर

वाराणसी। दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी काशी में स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो अनादि काल से करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इन्हें 'विश्वनाथ' या 'विश्वेश्वर' (अर्थात ब्रह्मांड का शासक) कहा जाता है।
इतिहास और महत्व
द्वादश ज्योतिर्लिंग: काशी विश्वनाथ मंदिर को भगवान शिव का आदिलिंग माना जाता है, जहाँ माना जाता है कि शिव और माता पार्वती का यह आदि स्थान है।
पुनर्निर्माण: यह मंदिर कई बार आक्रमणों का शिकार हुआ, लेकिन हर बार इसे दोबारा स्थापित किया गया। मंदिर की वर्तमान भव्य संरचना 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा बनवाई गई थी। बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने इसके शिखर को स्वर्ण मंडित कराया।
मोक्ष की नगरी: मान्यता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन और पवित्र गंगा में स्नान से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भव्य काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर
दिसंबर 2021 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का उद्घाटन करने के बाद इस तीर्थस्थल के स्वरूप में एक अभूतपूर्व परिवर्तन आया है।
परिवर्तन: पहले संकरी गलियों में छिपा हुआ यह मंदिर अब एक विशाल और खुला परिसर बन गया है, जो सीधे गंगा नदी के घाटों से जुड़ा हुआ है।
सुविधाएं: इस कॉरिडोर ने भक्तों के लिए सुविधाओं को बढ़ाया है, जिसमें यात्री सुविधा केंद्र, संग्रहालय, वैदिक केंद्र और गंगा घाट तक सीधी पहुँच शामिल है। इसने मंदिर की पुरातन संरचनाओं को बहाल करते हुए आधुनिक इंजीनियरिंग का अद्भुत समन्वय दिखाया है।
नई विकास परियोजनाएं
रिकॉर्ड तोड़ भीड़: कॉरिडोर बनने के बाद मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है।
शहरी रोप-वे: भक्तों की सुविधा के लिए, वाराणसी रेलवे स्टेशन (कैंट) से सीधे काशी विश्वनाथ मंदिर तक देश की पहली शहरी रोप-वे सेवा का निर्माण चल रहा है। लगभग ₹800 करोड़ की लागत से बनने वाला यह रोप-वे मई 2026 तक शुरू होने की उम्मीद है, जो 16 मिनट में यात्रा पूरी करेगा और प्रतिदिन लगभग 2 लाख तीर्थयात्रियों को ले जाने में सक्षम होगा।




