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बिहार का एक पौराणिक प्रसिद्ध शिव मंदिर,जहां आयोजित होती है दहेज-मुक्त शादी, जानें क्या है नाम...

अशोक धाम बिहार के लखीसराय जिले में स्थित है। इस मंदिर के मुख्य देवता इंद्रदमनेश्वर महादेव हैं। यह शिव को समर्पित है। इस मंदिर परिसर में कुल चार मंदिर हैं। मुख्य शिव मंदिर के अलावा अन्य तीन मंदिर, जिनमें मां पार्वती, नंदी बाबा और एक अन्य पूजा-स्थल भी शामिल है।
प्राचीन काल व पौराणिक मान्यताएं
ऐसा कहा जाता है कि 8वीं शताब्दी में इस जगह शिवलिंग पूजा का केंद्र था। 12वीं शताब्दी में, एक राजा इंद्रद्युम्न ने इस स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया था। लेकिन इतिहास में मंदिर के पुनर्निर्माण व दोबारा स्थापित होने की घटना 20वीं सदी में दर्ज है।
शिवलिंग की खोज की कहानी
ऐसा कहा जाता है कि 7 अप्रैल 1977 को अशोक नामक एक चरवाहे ने जो गाय-भैंस लेकर चराने आया था। जमीन में एक विशाल शिवलिंग का भाग देखा, जबकि वह गिल्ली-डंडा खेल रहा था।
उस शिवलिंग को निकालने की कोशिश हुई, लेकिन वह हिला भी नहीं। अतः उस स्थान पर मंदिर की स्थापना किया गया। उसी अशोक के नाम पर उस स्थान का नाम अशोक धाम पड़ा।
इसलिए, मंदिर कभी प्राचीन काल का था। लेकिन 1977 की घटना के बाद 'अशोक धाम' के रूप में पुनरुत्थान हुआ।
पुनर्निर्माण और आधुनिक रूप
11 फरवरी 1993 को, शंकराचार्य (जगन्नाथपुरी) ने मंदिर परिसर के पुनर्निर्माण का उद्घाटन किया। इसके बाद मंदिर पुनर्जीवित हुआ और श्रद्धालुओं के लिए खुले रूप में स्थापित हुआ।
धार्मिक, सामाजिक महत्व और मेले-त्योहार
अशोक धाम में महाशिवरात्रि, सावन मास और विशेष सोमवार या पूर्णिमा के अवसरों पर बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। सावन के दौरान तो इसे “बिहार का देवघर” भी कहा जाता है, क्योंकि कई भक्त यहां से जल लेकर या पूजा-अर्चना कर आगे यात्रा करते हैं।
दहेज-मुक्त सामूहिक विवाह के लिए प्रचलित
मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं है, सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए भी प्रसिद्ध है। उदाहरण के लिए, यहां, दहेज-मुक्त सामूहिक विवाह भी आयोजित हुआ करता है।
वर्तमान संरचना व विकास
आज अशोक धाम मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित है। स्थानीय प्रशासन व ट्रस्ट द्वारा मंदिर परिसर, पार्किंग, पर्यटक सुविधाओं तथा सुरक्षा प्रबंधों को और बेहतर बनाने की पहल की जा रही है।




