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एक ऐसा गुरुकुल जहां स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने प्राप्त की थी शिक्षा! जानें क्या है नाम और खासियत

सांदीपनि आश्रम उज्जैन एक प्राचीन और अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है। मंगलनाथ रोड स्थित ऋषि सांदीपनि आश्रम में 5235 साल पहले भगवान श्रीकृष्ण का विद्यारंभ संस्कार हुआ था। जहां पर गुरु सांदीपनि ने श्रीकृष्ण को स्लेट पर तीन मंत्र लिखवाए थे। यहां यह परंपरा आज भी चल रही है। अब बच्चों को विद्यारंभ संस्कार में मंत्रों की जगह अ आ इ ई उ ऊ और ए बी सी डी ई और 1 2 3 4 5 लिखवाए जाते हैं। ऋषि सांदीपनि के आश्रम में श्रीकृष्ण ने भाई बलराम के साथ 64 दिन शिक्षा ली थी। इस दौरान उन्होंने 14 विद्याएं और 64 कलाएं सीखी थीं। उज्जैन से प्राप्त शिक्षा ही कुरुक्षेत्र में गीता के रूप में श्रीकृष्ण के मुख से प्रकट हुई।
इसकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं—
1. भगवान कृष्ण, बलराम और सुदामा की शिक्षा का स्थान।
ऐसी मान्यता है कि श्रीकृष्ण, बलराम और उनके प्रिय मित्र सुदामा ने अपनी शिक्षा यहीं महर्षि सांदीपनि के आश्रम में प्राप्त की थी।
इसलिए यह स्थान गुरुकुल परंपरा का महत्वपूर्ण प्रतीक है।
2. गुरु–शिष्य परंपरा का जीवित स्मारक
यह आश्रम प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली और गुरु–शिष्य संबंध का प्रतीक माना जाता है। यहां की पवित्रता और वातावरण उस ऐतिहासिक परंपरा की याद दिलाता है।
3. गोमती कुंड
आश्रम में स्थित गोमती कुंड एक विशेष जल-कुंड है, जिसे भगवान कृष्ण द्वारा विभिन्न पवित्र नदियों के जल को समाहित करके बनाया गया माना जाता है।
इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है।
4. पुरातात्विक और धार्मिक महत्व
यह स्थान भारतीय इतिहास, पुराणों और पुरातत्व तीनों के लिए महत्वपूर्ण है। कई शिलालेख, प्राचीन संरचनाएं और प्रमाण यहां की प्राचीनता को दर्शाते हैं।
5. आध्यात्मिक और शांत वातावरण
आश्रम का वातावरण साधना, ध्यान और आध्यात्मिक चिंतन के लिए उपयुक्त माना जाता है। श्रद्धालु यहां आकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं।
6. पर्यटन और धार्मिक आकर्षण
उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास होने के कारण यह श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है। यहां रोजाना पूजा, भजन और धार्मिक गतिविधियां होती हैं।




