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भारत का एक ऐसा मंदिर जहां विराजमान है दाईं सूंड वाले गणेश जी, जानें मंदिर से जुड़े चमत्कार और विशेषताएं

Anjali Tyagi
13 Dec 2025 8:00 AM IST
भारत का एक ऐसा मंदिर जहां विराजमान है दाईं सूंड वाले गणेश जी, जानें मंदिर से जुड़े चमत्कार और विशेषताएं
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मुंबई। गणेश चतुर्थी का पर्व आते ही मुंबई शहर का माहौल देखने लायक होता है। ये पूरा शहर और भी ज्यादा भक्ति से भर जाता है। इस मौके पर लोग अपने घरों में बप्पा के मूर्ति की स्थापना करते हैं। इसी आस्था के बीच एक ऐसा स्थान है, जहां हर दिन लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं और बप्पा का आशीर्वाद पाते हैं। ये जगह है मुंबई का फेमस सिद्धिविनायक मंदिर।

क्या है इतिहास?

आपको बता दें कि सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में लक्स्मण विठू पाटिल और उनकी पत्नी देउबाई पाटिल ने कराया था। समय के साथ इसमें कई बार बदलाव हुए। आज ये एक भव्य मंदिर के रूप में सामने है। मंदिर की दीवारों, शिखरों और खंभों पर की गई सुंदर नक्काशी इसे और भी दिव्य बना देती है।

सिद्धिविनायक मंदिर से जुड़े मुख्य चमत्कार और विशेषताएं

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, गणेश जी की जिस प्रतिमा की सूंड दाईं ओर होती है, उसे 'सिद्धिविनायक' स्वरूप कहा जाता है, जो अत्यंत शक्तिशाली और दुर्लभ माना जाता है। ऐसी प्रतिमाओं की पूजा के लिए कड़े नियम होते हैं और यह माना जाता है कि यहां भक्त की हर मनोकामना शीघ्र पूरी होती है।

अखंड दीपक: मंदिर के गर्भगृह में एक अखंड ज्योति (लगातार जलता हुआ दीपक) है, जो कथित तौर पर मंदिर के निर्माण के समय से ही जल रही है।

चमत्कारिक प्रतिष्ठा: मंदिर का निर्माण मूल रूप से 1801 में एक छोटे से रूप में हुआ था। समय के साथ, भक्तों ने यहां कई चमत्कारों का अनुभव किया, जिससे मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई और यह आज मुंबई का एक प्रमुख और समृद्ध धार्मिक स्थल बन गया है।

अमीरी और शोहरत: यह मंदिर अपनी अपार संपत्ति और प्रसिद्ध हस्तियों, जैसे बॉलीवुड सितारों और राजनेताओं, के नियमित दौरे के लिए भी जाना जाता है, जो मंदिर की लोकप्रियता और चमत्कारी प्रतिष्ठा को और मजबूत करता है। इन मान्यताओं और चमत्कारों को सुनकर, भक्तगण अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से मुंबई के प्रभादेवी स्थित श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर आते हैं।

प्रत‍िमा के हैं चार हाथ

वहीं गणेश जी की सूंड दाहिनी ओर मुड़ी हुई है, जो बहुत दुर्लभ मानी जाती है। इस प्रतिमा के चार हाथ हैं। ऊपरी दाहिने हाथ में कमल, ऊपरी बाएं हाथ में परशु (कुल्हाड़ी), निचले दाहिने हाथ में जपमाला और निचले बाएं हाथ में मोदक से भरा कटोरा है। ये सभी चीजें शुभता और आशीर्वाद का प्रतीक मानी जाती हैं।

माथे पर है तीसरी आंख

प्रतिमा पर एक खास चीज और देखने को मिलती है और वो है एक सर्प पवित्र जनेऊ की तरह बाएं कंधे से दाहिनी ओर पेट तक लिपटा हुआ है। ये मूर्ति की आध्यात्मिकता और आकर्षण को और बढ़ा देता है। इसके अलावा माथे पर एक दिव्य आंख है, जो भगवान शिव की तीसरी आंख की याद दिलाती है। ये दिव्य ज्ञान और अंतर्दृष्टि बिखेरती है।

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