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कोशी के कछार पर एक ऐसा मंदिर, जहां दुर्गा पूजा के दौरान बहती है दूध की धारा! जानें बिहार के इस मंदिर का अनोखा इतिहास

सहरसा। बिहार के सहरसा जिले के महपुरा गांव में संत बाबा कारू का अद्भुत मंदिर है। यहां दुर्गा पूजा के अवसर पर विशेष पूजा की जाती है। इस मंदिर की खास बात है कि यहां इतना दूध का चढ़ावा होता है कि नदी की धारा की तरह बहती रहती है। यह मंदिर कोसी नदी के पास स्थित है। बता दें कि ऐसा माना जाता है यह बिहार का इकलौता मंदिर है, जहां दुर्गा पूजा के दौरान दूध की धारा की बहती है। दरअसल, बाबा कारू खिरहर नामक संत की तपस्या से यह मंदिर एक तीर्थस्थल के रूप में परिवर्तित हो गया था। दूध की यह धारा कोसी नदी में भी मिलती है, जिससे नदी का जल और पवित्र हो जाता है।
बाबा कारू खिरहर की तपस्या
यह मंदिर 17वीं सदी से जुड़ा हुआ माना जाता है। संत बाबा कारू के तपोवल से इस पवित्र स्थल को प्रसिद्धि मिली थी। पौराणिक कथाओं के मुताबिक कहा जाता है कि बाबा कारू ने इस क्षेत्र के लोगों की भलाई और सुरक्षा के लिए कठिन तपस्या की थी। उनकी आस्था से प्रेरित होकर इस मंदिर स्थापना की गई थी। जहां श्रद्धालु बाबा कारू की पूजा करते हैं और नवरात्रि में खासकर दूध चढ़ाते हैं। एक तरह से दूध चढ़ाने का यह धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है। यहां कई जिलों से बाबा के दर्शन को श्रद्धालु आते हैं।
पुजारी ने दी जानकारी
यहां के पुजारी मिथलेश खिरहर ने कहा कि यहां 2 दिनों में लगभग 4000 लीटर दूध का चढ़ावा होता है। यहां चढ़ाए हुए दूध से खीर बनाई जाती है जो श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है। इस मंदिर से लोगों की आस्था इतनी गहरी से जुड़ी हुई है कि बिहार के अलावा झारखंड सहित अन्य राज्य से भी श्रद्धालु आते हैं।
पशुपालकों की सहयोगिता
इस मंदिर में दूध चढ़ाने के लिए अधिकांश पशुपालक यहां आते हैं। पशुओं से जुड़ा यह मंदिर विभिन्न राज्यों से पशुपालकों को आकर्षित करता है। मंदिर की परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है। दूध की अविरल धारा देखना हर भक्तों के लिए अनूठा अनुभव होता है। त्योहार के दौरान यहां की सड़कों और नदी किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, जो अपनी मन्नतें मांगते हैं। बाबा कारू को दूध, दही, चुरा, फल आदि का भोग लगाया जाता है।
गौरतलब है कि इस मंदिर का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बड़ा महत्व है। स्थानीय प्रशासन और संस्थान भी इस त्योहार के आयोजन में अपनी सहभागिता दिखाते हैं।