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एक ऐसा मंदिर जहां शनिदेव की स्वयंभू प्रतिमा है, करते हैं चोरों से घर की रक्षा...

Aryan
20 Dec 2025 8:00 AM IST
एक ऐसा मंदिर जहां शनिदेव की स्वयंभू प्रतिमा है, करते हैं चोरों से घर की रक्षा...
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शनि शिंगनापुर मंदिर भारत के महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले के नेवासा तालुका गांव में स्थित है। यह गांव अपने शनिदेव के मंदिर के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है, जहां शनिदेव की स्वयंभू प्रतिमा है और यहां भक्त तेल चढ़ाकर दर्शन करते हैं। शनिदेव शनि ग्रह से जुड़े देवता हैं। इनके ही मंदिर के लिए शनि शिंगनापुर प्रसिद्ध है। यहां शनिदेव की मूर्ति बिना छत के खुले आसमान के नीचे स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि यहां कोई चोरी नहीं होती, क्योंकि शनिदेव स्वयं रक्षा करते हैं। आज भी वहां कोई भी ताला नहीं लगाता है।

कैसे पहुंचें

यह शिरडी से लगभग 70 किलोमीटर दूर और पुणे हवाई अड्डे से 155 किमी है। वहीं अहमदनगर या शिर्डी जैसे रेलवे स्टेशनों से पहुंचा जा सकता है।

शनि शिंगणापुर मंदिर का इतिहास चमत्कारी किंवदंतियों से जुड़ा है, जहां शनिदेव एक स्वयंभू, बिना छत वाली काली शिला के रूप में विराजमान हैं, एक कथा के अनुसार, यह शिला एक गड़रिये को मिली थी और इसी कारण यह स्थान 'ताला-रहित' गांव के रूप में प्रसिद्ध है, जहां के लोग अपने घरों में दरवाजे नहीं लगाते क्योंकि माना जाता है कि शनिदेव स्वयं उनकी रक्षा करते हैं और चोरों को दंडित करते हैं, जिससे यहां चोरी की घटनाएं नहीं होतीं।

इतिहास

स्वयंभू मूर्ति

यहां शनिदेव किसी मंदिर या छत्र के नीचे नहीं, बल्कि खुले आसमान के नीचे एक चबूतरे पर एक काली शिला के रूप में स्थापित हैं, जिसे भक्त 'शनिदेव' मानते हैं।

गड़रिये की कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक चरवाहे को यह शिला मिली थी। उसी समय से यह स्थान शनिदेव की शक्ति का केंद्र बन गया।

ताला-रहित गांव

यह गांव अपनी अनूठी परंपरा के लिए जाना जाता है कि यहां लोग अपने घरों, दुकानों या तिजोरियों पर ताले नहीं लगाते, क्योंकि यह माना जाता है कि शनिदेव स्वयं गांव की रक्षा करते हैं और किसी भी गलत काम को होने नहीं देते।

महत्व और पूजा

भक्त दूर-दूर से शनिदेव के दर्शन और तेल अभिषेक के लिए आते हैं, खासकर शनि अमावस्या और शनि जयंती पर।

लोग शनिदेव को सरसों का तेल, काले वस्त्र, फूल और लोहे की वस्तुएं चढ़ाते हैं और "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करते हैं।

ऐसी मान्यता है कि शनिदेव कर्मों के अनुसार फल देते हैं और इस स्थान पर आने से कष्ट दूर होते हैं।

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