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भारत का ऐसा गांव जहां बिना दरवाजे-ताले के रहते हैं लोग, कभी नहीं होती चोरी, शनिदेव खुद करते हैं सुरक्षा

नई दिल्ली। शनि शिंगणापुर, महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो शनि देव के मंदिर के लिए जाना जाता है। यहां शनि देव की मूर्ति खुले आसमान के नीचे एक चबूतरे पर विराजमान है, और यह मंदिर बिना किसी छत या गुंबद के है। इस गांव की एक खास बात यह है कि यहां के घरों में दरवाजे और ताले नहीं लगाए जाते हैं, और यह भी कहा जाता है कि यहां चोरी नहीं होती है।
शनि शिंगणापुर के रहस्य
1. बिना दरवाजों वाला गांव- शिंगणापुर गांव में लगभग सभी घरों में दरवाजे नहीं हैं, और जो हैं भी, उन पर ताले नहीं लगे हैं। लोग अपनी सुरक्षा के लिए पर्दे का इस्तेमाल करते हैं।
2. चोरी की घटनाएं नहीं- इस गांव में चोरी की घटनाएं न के बराबर होती हैं। ऐसा माना जाता है कि शनिदेव स्वयं गांव की रक्षा करते हैं और जो भी चोरी करने की कोशिश करता है, उसे शनिदेव दंड देते हैं।
3. खुले आसमान के नीचे शनिदेव- शनि शिंगणापुर में शनिदेव की मूर्ति खुले आसमान के नीचे स्थापित है, किसी मंदिर के गर्भगृह में नहीं। भक्तों का मानना है कि शनिदेव स्वयं गांव और यहां के लोगों पर नजर रखते हैं।
4. नीम के पेड़ की विशेषता- शनि मंदिर के पास एक नीम का पेड़ है, जिसकी छाया शनिदेव की मूर्ति पर नहीं पड़ती है। जैसे ही छाया पड़ने लगती है, वह डाली सूखकर या टूटकर गिर जाती है।
5. तेल अभिषेक- शनिदेव को सरसों के तेल से अभिषेक किया जाता है, और भक्त अपनी इच्छा अनुसार तेल चढ़ाते हैं।
6. पीछे मुड़कर न देखें- मंदिर में शनिदेव के दर्शन करके सीधा बाहर निकलना होता है, और पीछे मुड़कर नहीं देखना होता है।
7. गांव में बैंक भी बिना ताले के- यहां तक कि गांव में स्थित यूको बैंक की शाखा में भी ताले नहीं लगे हैं।
शिंगणापुर में कभी चोरी नहीं होती
शिंगणापुर में जिस दिन से भगवान शनिदेव विराजे, उसी दिन से वहां चोरी-डकैती आदि कार्य नहीं होते। विश्व का यह एक इकलौता गांव है जहां घरों में दरवाजे तक नहीं हैं, एक दो बार कुछ चोरों ने वहां जाकर चोरी करने की कोशिशें भी की परंतु वे नाकाम रहे और उन्हें सबक भी सिखाया गया।
महिलाओं को भीतरी गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं थी
पहले महिलाओं को शनि शिंगणापुर मंदिर के गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन 26 जनवरी 2016 को तिरुपति देसाई (सामाजिक कार्यकर्ता) के नेतृत्व में 500 से अधिक महिलाओं के एक समूह ने मंदिर तक मार्च किया। वे मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने रोक लिया। लेकिन 30 मार्च 2016 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को मंदिर के आंतरिक गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने का आदेश दे दिया।
शनि शिंगणापुर की कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भारी बारिश के कारण जल स्तर बढ़ने पर, एक विशाल काली शिला नदी में बहती हुई शिंगणापुर के तट पर पहुंची। जब कुछ बच्चों ने उस शिला पर पत्थर मारा, तो उसमें से खून निकलने लगा। यह देखकर बच्चे डरकर भाग गए और गांव वालों को घटना बताई। रात में, शनिदेव ने गांव के मुखिया के सपने में आकर बताया कि वह स्वयं शिला रूप में वहां विराजमान हैं। मुखिया ने यह बात गांव वालों को बताई और सभी ने मिलकर उस शिला को बैलगाड़ी में बिठाकर गांव में स्थापित किया। कहा जाता है कि जिस दिन से शनिदेव वहां विराजमान हुए, उसी दिन से गांव में चोरी-डकैती जैसी घटनाएं नहीं हुईं और लोगों ने अपने घरों में दरवाजे लगाना बंद कर दिए।