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बरसात में डुबाने के बाद अब सर्दी बरपाएगी कहर! ठंड को लेकर IMD ने जारी की चेतावनी, जानकार कांप जाएगी रुह

Shilpi Narayan
17 Sept 2025 7:30 PM IST
बरसात में डुबाने के बाद अब सर्दी बरपाएगी कहर! ठंड को लेकर IMD ने जारी की चेतावनी, जानकार कांप जाएगी रुह
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नई दिल्ली। इस साल प्रचंड गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया। वहीं गर्मी के बाद बरसात ने देश के कई हिस्सों को डुबा दिया है। जिससे आम लोगों की जिंदगी तहस-नहस हो गई। इस बीच मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस साल के अंत तक ला नीना के कारण मौसम का पैटर्न प्रभावित होगा और इसकी वजह से भारत में इस बार कड़ाके की ठंड पड़ सकती है।

भारत में इस बार कड़ाके की ठंड पड़ सकती

दरअसल, अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने कहा कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला नीना बनने की प्रबल संभावना है। मौसम विभाग ने बताया कि ला नीना प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय हिस्से में समुद्र सतह के तापमान के ठंडा होने की स्थिति है, इसका असर पूरी दुनिया के मौसम पर पड़ता है और भारत में इस बार कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। आईआईएसईआर मोहाली और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च, ब्राजील ने भी अपने अध्ययन में पाया है कि ला नीना वर्षों में उत्तर भारत में ठंडी लहरें अधिक और लंबी अवधि तक चलती हैं। अध्ययन के अनुसार, ला नीना के दौरान निचले स्तर पर बनने वाली चक्रीय हवाएं उत्तरी अक्षांशों से ठंडी हवा भारत की ओर खींच लाती हैं।

हिमालयी क्षेत्रों में अधिक बर्फबारी हो सकती है

स्काइमेट वेदर के अध्यक्ष का कहना है कि ला नीना की स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि प्रशांत महासागर का तापमान पहले ही सामान्य से ठंडा है। यदि यह -0.5°C से नीचे तीन तिमाहियों तक बना रहता है, तो इसे ला नीना घोषित कर दिया जाएगा। 2024 के अंत में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी जब नवंबर से जनवरी तक अल्पकालिक ला नीना रहा था। उन्होंने कहा कि इस बार अमेरिका में सूखी सर्दियों का खतरा है जबकि भारत में कड़ाके की ठंड और हिमालयी क्षेत्रों में अधिक बर्फबारी हो सकती है।

ला नीना विकसित होने की 50% से अधिक संभावना

आईएमडी का कहना है कि अभी स्थितियां सामान्य बनी हुई हैं लेकिन आईएमडी का मानना है कि मॉनसून के बाद ला नीना की संभावना बढ़ जाएगी। वहीं उनका कहना है कि हमारे मॉडल अक्टूबर-दिसंबर में ला नीना विकसित होने की 50% से अधिक संभावना दिखा रहे हैं। ला नीना के दौरान भारत में सर्दियां सामान्य से ठंडी होती हैं। हालांकि जलवायु परिवर्तन के कारण गर्माहट कुछ असर कम कर सकती है, लेकिन ठंडी लहरें बढ़ सकती हैं।

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