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मेयर बनने के बाद 900 करोड़ के बंगले में शिफ्ट होंगे जोहरान ममदानी, आलोचनाओं के बीच दिया सुरक्षा का हवाला

अमेरिका के सबसे बड़े शहर न्यूयॉर्क के नव-निर्वाचित मेयर जोहरान ममदानी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पिछले महीने हुए चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद अब ममदानी ने अपने आधिकारिक आवास को लेकर बड़ा फैसला किया है। उन्होंने घोषणा की है कि वे 1 जनवरी को पदभार संभालने के बाद मैनहट्टन स्थित मेयर रेजिडेंस ‘ग्रेसी मेंशन’ में शिफ्ट होंगे। इस आलीशान बंगले की कीमत करीब 100 मिलियन डॉलर, यानी लगभग 900 करोड़ रुपये आंकी गई है।
जोहरान ममदानी ने यह जानकारी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिये दी। उन्होंने लिखा कि वे और उनकी पत्नी रमा, परिवार की सुरक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारियों के बेहतर निर्वहन को ध्यान में रखते हुए ग्रेसी मेंशन में रहने जा रहे हैं। अपने पोस्ट में उन्होंने कहा, “मेरी पत्नी रमा और मैंने जनवरी में ग्रेसी मेंशन में जाने का फैसला किया है। यह फैसला हमारे परिवार की सुरक्षा और उसी एजेंडे पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए लिया गया है, जिसके लिए न्यूयॉर्क के नागरिकों ने हमें चुना है — किफायती आवास।”
यह फैसला इसलिए भी चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि जोहरान ममदानी ने अपने चुनाव अभियान में affordability यानी किफायती आवास के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। ऐसे में उनके इतने महंगे और आलीशान आवास में शिफ्ट होने को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
10,000 वर्ग फुट में फैला ऐतिहासिक बंगला
ग्रेसी मेंशन न्यूयॉर्क के सबसे पॉश इलाकों में शुमार अपर ईस्ट साइड में स्थित है। 1799 में निर्मित यह हवेली ईस्ट रिवर के किनारे करीब 10,000 वर्ग फुट में फैली हुई है। यह 1942 से न्यूयॉर्क के मेयर का आधिकारिक निवास माना जाता है। हालांकि, मेयर का यहां रहना अनिवार्य नहीं है। यही वजह है कि लोगों में यह जिज्ञासा बनी हुई थी कि क्या 34 वर्षीय ममदानी, जिन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान आम लोगों की समस्याओं जैसी छवि बनाई थी, इस आलीशान विला में जाएंगे या नहीं।
पहले भी आलोचनाओं का सामना किया
जोहरान ममदानी को इससे पहले भी आवास से जुड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। मेयर पद की दौड़ में शामिल होने से पहले वे सब्सिडी वाले दो-बेडरूम अपार्टमेंट में रहते थे, जिसके लिए वे 2,300 डॉलर मासिक किराया देते थे। आलोचकों का कहना था कि न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली के सदस्य के रूप में उनकी सैलरी और उनकी पत्नी की आय को देखते हुए, उन्हें सब्सिडी वाले घर में रहने की आवश्यकता नहीं थी।
अब इतने महंगे सरकारी आवास में उनके जाने के फैसले ने विरोधियों को एक और मौका दे दिया है। वे सवाल उठा रहे हैं कि क्या किफायती आवास की बात करने वाले ममदानी अपने ही सिद्धांतों से हट रहे हैं।




