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अक्षय तृतीया 2025: कब और क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया, जानें शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली। अक्षय तृतीया का मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है, इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं। नवीन वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने और नई संस्था, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन का कार्य श्रेष्ठ माना जाता है। यह दिन अबूझ मुहूर्त के नाम से प्रसिद्ध है, विवाह आदि शुभ कार्यों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ होता है।
कब है अक्षय तृतीया?
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल की शाम 5 बजकर 31 मिनट शुरू होगी और इसका समापन 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर होगा। ऐसे में इस बार अक्षय तृतीया का पर्व 30 अप्रैल, बुधवार को मनाया जाएगा।
क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?
अक्षय तृतीया के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक बताया जा रहा है।
अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी की पूजा
मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की संयुक्त रूप से पूजा करने से जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं रहती।
-ऐसे में इस खास दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहन लें।
-इसके बाद घर में पूजा घर की सफाई कर गंगाजल से शुद्ध कर लें।
-मंदिर में लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
-पूजा से पहले अपने मन में संकल्प लें कि आप सच्चे मन से मां लक्ष्मी की पूजा कर रहे हैं और उनका आशीर्वाद चाहते हैं।
-दीपक जलाकर मां लक्ष्मी के सामने रखें।
-विष्णु जी को चंदन और मां लक्ष्मी को कुमकुम का तिलक लगाएं।
-इसके बाद नारायण को पीले फूल और माता लक्ष्मी को कमल के फूल चढ़ाए।
-लक्ष्मी-नारायण को खीर, मालपुआ, पंचामृत, या मिठाई अर्पित करें।
-पूजा में तुलसी का पत्ता जरूर शामिल करें, यह विष्णु जी को प्रिय है।
-पूजा की थाली में सोने-चांदी के सिक्के, कुबेर यंत्र या श्रीयंत्र भी रख सकते हैं। यह लक्ष्मी कृपा को आकर्षित करते हैं।
-पूजा के अंत में मां लक्ष्मी और विष्णु जी की आरती करें।
दान का महत्व
इस दिन दान का बहुत महत्व है। पूजा के बाद आप जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, स्वर्ण या धन का दान कर सकते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से पुण्य और लक्ष्मी कृपा दोनों प्राप्त होती हैं।
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने की परंपरा
अक्षय तृतीया और सोने की खरीदारी के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का संबंध है। सोने को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और इस दिन इसे खरीदने से समृद्धि सुनिश्चित होती है। सोना सिर्फ एक धातु नहीं है; यह धन और समृद्धि का प्रतीक है। माना जाता है कि अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने से समृद्धि आती है और व्यक्ति के जीवन में धन का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित होता है। अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। यह भारतीय संस्कृति में गहराई से समाया हुआ है और इसे त्योहार मनाने का एक शुभ तरीका माना जाता है।
अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है?
-बता दें कि चारों युगों में सतयुग और त्रेतायुग का शुभारंभ अक्षय तृतीया के दिन से हुआ है।
-श्रीमद्भागवतमहापुराण के अनुसार, अनंतकोटि ब्रह्मांड नायक परमेश्वर श्रीहरि ने अक्षय तृतीया को हयग्रीव अवतार लेकर वेदों की रक्षा की।
-धरती पर देवताओं ने 24 रूपों में अवतार लिया था। इनमें छठा अवतार भगवान परशुराम का था। पुराणों में उनका जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था।
-भगवान कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा से इसी दिन मुलाकात की थी और गंगा नदी स्वर्ग से धरती पर उतरी थी।