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मनी लॉन्ड्रिंग में फंसे अनिल अंबानी, ठिकानों पर ED का बड़ा सर्च ऑपरेशन, 48 से ज्यादा जगहों पर हुई कार्रवाई

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार सुबह अनिल अंबानी और उनके रिलायंस समूह (RAAGA कंपनियां) से जुड़े कई ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर आधारित है और देश की राजधानी दिल्ली और मुंबई समेत 35 से ज्यादा लोकेशनों पर एक साथ की जा रही है। इसमें अनिल अंबानी से जुड़ी करीब 50 कंपनियों और 25 से अधिक व्यक्तियों के परिसरों की तलाशी ली जा रही है।
CBI की FIR ने खोला पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक ED की कार्रवाई की शुरुआत उस वक्त हुई जब CBI ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज कीं। ये केस RAAGA कंपनियों से जुड़े हैं, जो रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप की इकाइयां हैं। बता दें कि FIR नंबर RC2242022A0002 और RC2242022A0003 के तहत धोखाधड़ी, गबन और बैंकों से फर्जी तरीके से ऋण लेने के गंभीर आरोप लगे हैं।
निवेशक और सरकारी संस्थानों को दिया गया धोखा
CBI की FIR के आधार पर ED ने जांच शुरू की और पाया कि एक सुनियोजित स्कीम के तहत बैंक, निवेशक और सरकारी संस्थानों को धोखा दिया गया। एजेंसी ने यह भी पाया कि यस बैंक से मिली रकम को कंपनी के प्रमोटर्स और अन्य समूह कंपनियों में अवैध रूप से डायवर्ट किया गया।
यस बैंक से 3000 करोड़ का अवैध लोन और घूस का खेल
ED की जांच में सबसे चौंकाने वाला पहलू यह सामने आया है कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने RAAGA कंपनियों को जो कर्ज दिया, वह पूरी तरह नियमों को ताक पर रखकर मंजूर किया गया। शुरुआती जांच से पता चला है कि लोन मंजूर होने से पहले ही यस बैंक के प्रमोटर्स को बड़ी रकम निजी कंपनियों के जरिए दी गई थी।
जांच में यह भी सामने आया कि लोन से जुड़े दस्तावेज जैसे क्रेडिट अप्रूवल मेमोरैंडम (CAMs) बैकडेट किए गए थे। लोन को बिना ड्यू डिलिजेंस या क्रेडिट एनालिसिस के मंजूर किया गया, जो बैंक की क्रेडिट पॉलिसी का उल्लंघन था। इसके अलावा, लोन को तुरंत शेल कंपनियों और दूसरे ग्रुप में डायवर्ट कर दिया गया। इन कंपनियों का वित्तीय स्थिति कमजोर थी, उनके पते एक जैसे थे या उनके डायरेक्टर्स एक ही थे।
RHFL में भी घोटाले के संकेत आए सामने
बता दें कि सेबी ने भी इस मामले में RHFL (Reliance Home Finance Limited) को लेकर कई अहम जानकारी ED के साथ साझा की हैं। SEBI की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2017-18 में RHFL ने जहां 3,742.60 करोड़ रुपये के कॉरपोरेट लोन दिए थे, वहीं 2018-19 में यह रकम बढ़कर 8,670.80 करोड़ रुपये हो गई।
इस दौरान कंपनी ने लोन देने के सभी नियमों को नजरअंदाज किया। साथ ही तेजी से अप्रूवल दिए गए, जरूरी दस्तावेज नहीं जुटाए गए और कई बार कंपनियों की आर्थिक स्थिति की जांच किए बिना भारी भरकम रकम ट्रांसफर कर दी गई। इन लोन का बड़ा हिस्सा बाद में प्रमोटर ग्रुप की कंपनियों में डायवर्ट किया गया, जिससे बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता हुई।