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मृतक के नाम पर साइन! अल-फलाह के चेयरमैन जवाद का उतरा नकाब, इस तरह से हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा

Aryan
28 Nov 2025 5:19 PM IST
मृतक के नाम पर साइन! अल-फलाह के चेयरमैन जवाद का उतरा नकाब, इस तरह से हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
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यूनिवर्सिटी के अलावा जवाद अहमद के नाम पर 9 फर्जी कंपनियां हैं। इन्हीं में से एक तरबिया फाउंडेशन है।

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में जमीन घोटाले को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। दरअसल अल-फलाह ग्रुप के फाउंडर जवाद अहमद सिद्दीकी पर करोड़ों की जमीन को फर्जी तरीके से हथियाने का नया आरोप लगा है। बता दें कि जवाद अहमद पहले ही दिल्ली ब्लास्ट और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ED की हिरासत में है।

धोखे से हासिल की थी जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी

अल-फलाह केस की जांच में पता चला है कि दिल्ली के मदनपुर खादर में खसरा नंबर 792 में कीमती जमीन को जवाद अहमद सिद्दीकी से जुड़े तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन ने एक नकली जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से धोखे से हासिल की थी। जवाद को ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के चार्ज में अरेस्ट किया है। अभी वह दिल्ली ब्लास्ट केस में भी जांच के घेरे में हैं। जानकारी के अनुसार, यह जमीन साउथ दिल्ली में एक खास जगह पर है। जिन लोगों के नाम पर इस GPA में हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान लगाए गए हैं। वह सालों नहीं बल्कि दशकों पहले मर गए थे।

मृतक लोगों के नाम पर कर रहे थे साइन

हैरानी की बात यह है कि कई जमीन मालिकों की मौत साल 1972 और 1998 के बीच ही हो गई थी। इसके बावजूद, 2004 में जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी में मरे हुए लोगों के साइन अथवा अंगूठे के निशान लिए गए थे।

फर्जीवाड़ा की जानकारी ED ने दी

ED ने बताया कि 7 जनवरी 2004 को खसरा नंबर 792 की जमीन पर एक GPA बनाई गई। इसे विनोद कुमार पुत्र भूले राम के नाम किया गया। इसमें सभी मृत जमीन मालिकों के नाम, उनके हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान दर्ज किए गए। बाद में जमीनों को सेल डीड के जरिए विनोद ने 27 जून 2013 को 75 लाख रुपये में तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन को बेच दी। 21 दिसंबर 2012 को जवाद के नाम पर फाउंडेशन का रजिस्ट्रेशन हुआ था।

दीवार पर लिखा था-अल-फलाह यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद

गेट के पास वाली दीवार पर लिखा था-- अल-फलाह यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद। पहले गेट पर भी यही लिखा था, लेकिन दिल्ली बम ब्लास्ट के बाद उसे पेंट कर छिपा दिया गया है। अल-फलाह वही यूनिवर्सिटी है, जिसका नाम फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से जुड़ा है।

गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी के अलावा जवाद अहमद के नाम पर 9 फर्जी कंपनियां हैं। इन्हीं में से एक तरबिया फाउंडेशन है। इसका रजिस्ट्रेशन 21 दिसंबर 2012 को हुआ था। इसमें दो डायरेक्टर हैं, जवाद अहमद सिद्दीकी और सूफियान अहमद सिद्दीकी।


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