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यात्री गण कृपया ध्यान दें...8 घंटे नहीं, अब 12 घंटे पहले बनेगा आरक्षण चार्ट, रेलवे पायलट प्रोजेक्ट की नई शुरुआत इस जगह से हुई

Aryan
15 Dec 2025 6:25 PM IST
यात्री गण कृपया ध्यान दें...8 घंटे नहीं, अब 12 घंटे पहले बनेगा आरक्षण चार्ट, रेलवे पायलट प्रोजेक्ट की नई शुरुआत इस जगह से हुई
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आरक्षण चार्ट पहले तैयार होने से यात्रियों को अपनी यात्रा की योजना बेहतर ढंग से बनाने में मदद मिलेगी।

नई दिल्ली। रेल यात्रियों को बेहतर सुविधा देने और सही जानकारी उपलब्ध कराने के लिए रेलवे बोर्ड ने आरक्षण चार्ट तैयार करने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। दरअसल पश्चिम मध्य रेलवे जोन में इस निर्णय के अंतर्गत अब ट्रेनों का पहला आरक्षण चार्ट प्रस्थान समय से 12 घंटे पहले तैयार कर दिया जाएगा। बता दें कि अब तक यह चार्ट ट्रेन के चलने से करीब 8 घंटे पहले बनाया जाता था। इससे यात्रियों को अपनी टिकट की स्थिति जानने में देर होती थी।

पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू

दरअसल इस नई व्यवस्था को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है। पश्चिम मध्य रेलवे जोन में इसकी शुरुआत भोपाल रेल मंडल से की गई है। जानकारी के अनुसार, इस प्रयोग के शुरुआती नतीजे अच्छे आए हैं। यदि यह व्यवस्था पूरी तरह से सफल साबित होती है, तो आगामी चरण में इसे जबलपुर और कोटा रेल मंडल में भी लागू किया जाएगा। इसके लिए रेलवे बोर्ड ने संबंधित मंडलों से उन ट्रेनों की सूची भी मांगी है, जिन्हें आगे इस प्रणाली में शामिल किया जाएगा।

यात्रा की योजना बनाने में मिलेगी मदद

रेलवे बोर्ड के मुताबिक, आरक्षण चार्ट पहले तैयार होने से यात्रियों को अपनी यात्रा की योजना बेहतर ढंग से बनाने में मदद मिलेगी। ऐसे में वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों को समय रहते यह जानकारी मिल पाएगी कि उनका टिकट कन्फर्म हुआ है या नहीं। इससे अंतिम समय में दिक्कत नहीं होगी।

नई व्यवस्था शान-ए-भोपाल ट्रेन में लागू

बता दें कि इस नई व्यवस्था के तहत 12 दिसंबर से भोपाल मंडल में चलने वाली शान-ए-भोपाल सुपरफास्ट एक्सप्रेस का पहला आरक्षण चार्ट ट्रेन के प्रस्थान से 12 घंटे पहले तैयार किया जा रहा है। यह ट्रेन इस पायलट प्रोजेक्ट का प्रमुख उदाहरण बन गई है। इसके साथ ही ट्रेन से संबंधित आपातकालीन कोटा के आवेदन भी अब यात्रा से एक दिन पहले, कार्यदिवस के दौरान स्वीकार किए जाएंगे।

गौरतलब है कि रेलवे यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए भविष्य में और भी सुधार कर सकती है। यदि यह नई पद्धति अन्य मंडलों में भी सफल रहती है, तो इसे पूरे देश की ट्रेनों में लागू करने पर विचार किया जाएगा।

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