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Bade Ganeshji Ujjain : मसालों से बनी है गणेशजी की यह प्रतिमा, जानें क्या हैं खूबियां

Aryan
6 Aug 2025 8:00 AM IST
Bade Ganeshji Ujjain : मसालों से बनी है गणेशजी की यह प्रतिमा, जानें क्या हैं खूबियां
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उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर के पास एक पुराना गणेश मंदिर है, जिसे बड़ा गणेश मंदिर भी कहते हैं

मांगलिक कार्य का शुभारंभ करने से पहले भगवान गणेश को ही सबसे पहले याद किया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है क्योंकि वह अपने भक्तों के सभी कष्ट और विध्न हर लेते हैं। उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर के पास एक पुराना गणेश मंदिर है। इस मंदिर का इतिहास अलग हटके है। बुधवार का दिन शिव और पार्वती के पुत्र विघ्नहर्ता गणपति को खास रूप से समर्पित है।

मूर्ति का इतिहास

गणेश जी की इस भव्य मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि यह मूर्ति लगभग 114 वर्षों पूर्व इस मंदिर में स्थापित की गई थी। जानकारी के अनुसार, मंद‍िर में स्‍थापित गणेश प्रतिमा की स्थापना महर्षि गुरु महाराज सिद्धांत वागेश पं. नारायणजी व्यास ने करवाई थी। इस मूर्ति को अन्य मूर्तियों से अलग तरीके से बनाया गया है। गणेश जी की इस मूर्ति को बनाने में सीमेंट का नहीं बल्कि इसमें गुड़ और मेथी दानों का प्रयोग क‍िया गया है। इसके अलावा मूर्ति के निर्माण में ईंट, चूने, बालू और रेत का प्रयोग भी क‍िया गया है। सभी पवित्र नदियों के जल से इसे निर्मत किया गया है। इसके अलावा सात मोक्षपुरियों मथुरा, द्वारिका, अयोध्या, कांची, उज्जैन, काशी और हरिद्वार से लाई हुई मिट्टी भी मिलाई गई है। यही कारण है कि यह मूर्ति अन्य मूर्तियों से विशेष महत्व रखती है। इस मूर्ति को बनाने में ढाई वर्ष का समय लगा था।

रक्षाबंधन के पर्व पर राखी महिलाएं गणपति को राखी भेजती हैं

इस मंदिर को देशभर में इतनी ख्याति प्राप्त है कि रक्षाबंधन के पर्व पर देश-विदेश से महिलाएं गणपति जी के लिए राखियां भेजती हैं। गणपति भाई बनकर बहनों की हर मुसीबत से रक्षा करते हैं।

भगवान गणेश की सूंड दक्षिणावर्ती है

मंदिर में स्‍थापित गणेशजी की प्रतिमा लगभग 18 फीट ऊंची और 10 फीट चौड़ी है। मूर्ति में भगवान गणेश की सूंड दक्षिणावर्ती है। प्रतिमा के मस्तक पर त्रिशूल और स्वास्तिक बना हुआ है। दाहिनी ओर घूमी हुई सूंड में एक लड्डू दबा है। भगवान गणेशजी के कान व‍िशाल हैं और गले में पुष्प माला है। दोनों ऊपरी हाथ जप मुद्रा में और नीचे के दाएं हाथ में माला व बाएं में लड्डू की थाल है।

बुद्धि के देवता हैं गणपति

बुद्धि और जीवन में कष्टों से बचने के लिए की जाती है भगवान गणेश की आराधना। दक्षिणावर्ती सूंड वाले बड़ा गणेश को दुर्वा और लड्डू चढ़ाकर मन्नत मांगी जाती है।


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