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Badrinath Dham: ना भौंकते है कुत्ते, ना कड़कती है बिजली, ना गरजते है बादल! जानें क्या है बद्रीनाथ धाम की शांति का रहस्य

Anjali Tyagi
11 Sept 2025 8:00 AM IST
Badrinath Dham: ना भौंकते है कुत्ते, ना कड़कती है बिजली, ना गरजते है बादल! जानें क्या है बद्रीनाथ धाम की शांति का रहस्य
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चमोली। उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे ब्रदीनाथ धाम स्थित है। यह भारत के सबसे पवित्र और प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। इसे चारधाम और छोटे चार धाम यानी हिमालयन चार धाम दोनों यात्राओं में शामिल किया जाता है। आपको जानकार हैरानी होगी कि बद्रीनाथ धाम में कोई भी कुत्ता भौंकता नजर नहीं आता है। केवल कुत्ता ही नहीं, बल्कि आकशीय बिजली चमकेगी लेकिन कड़केगी नहीं, बादल बरसेगा लेकिन गर्जेगा का नहीं और इसके पीछे का कारण काफी ज्यादा रोचक है।

बद्रीनाथ मंदिर

देश के चार धामों में प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम एक ऐसा धार्मिक तीर्थ स्थल है, जहां नर-नारायण दोनों ही मिलते हैं। बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु हर साल पहुंचते हैं। यह उत्तराखंड के चमोली जिले के अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। यहां बद्रीनाथ धाम में विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। बद्री नाथ धाम का कपाट खुलने पर यहां भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है।

बद्रीनाथ धाम की शांति के कारण

इस धाम में भगवान विष्णु 6 महीने के लिए ध्यान अवस्था में रहते हैं, और इस दौरान उनके तपस्या में कोई बाधा न पड़े, इसलिए यहां का वातावरण शांत रहता है। एक मान्यता के अनुसार, कुत्ते यहां भगवान विष्णु के सेवक हैं और उन्हें शांतिपूर्वक रहने का आदेश दिया गया है। यह माना जाता है कि प्रकृति भी भगवान विष्णु की साधना का सम्मान करती है। यही कारण है कि यहां बादल बरसते हैं लेकिन गरजते नहीं, और बिजली चमकती है लेकिन उसकी आवाज नहीं आती। बद्रीनाथ धाम को सृष्टि का "नवां बैकुंठ" भी कहा जाता है, जहां सभी प्राणी और प्रकृति भगवान की आध्यात्मिक ऊर्जा से प्रभावित होकर शांत रहते हैं। यह मान्यता भगवान की तपस्या के प्रति सम्मान और इस पवित्र स्थान की आध्यात्मिक पवित्रता को दर्शाती है, जिससे यहां एक अद्भुत शांति और खामोशी बनी रहती है।

अन्य पौराणिक मान्यता

कुछ अन्य पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रदीनाथ में विष्णु जी ने नारायण के रूप में अवतार लिया था। तब उन्होंने कुत्तों को ये श्राप दिया था कि वे इस स्थान पर कभी भी भौंक नहीं सकेंगे।

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