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भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक भाई दूज! यमराज और यमुना से जुड़ी है कहानी, जानें शुभ मूहूर्त

Anjali Tyagi
23 Oct 2025 8:00 AM IST
भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक भाई दूज! यमराज और यमुना से जुड़ी है कहानी, जानें शुभ मूहूर्त
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नई दिल्ली। हिंदू धर्म के भारतीय परंपरा में कार्तिक शुक्ल द्वितीया को एक ऐसा पर्व मनाया जाता है जो भाई-बहनों के अटूट प्रेम और रक्षा का प्रतीक होता है। पद्म पुराण में यह वर्णित है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भी भ्रातृ द्वितीय या यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन मथुरा के विश्राम घाट का विशेष महत्व है।

तिथि और समय

द्वितीया तिथि का प्रारंभ- 22 अक्टूबर 2025, रात 08:16 बजे

द्वितीया तिथि का समापन- 23 अक्टूबर 2025, रात 10:46 बजे

भाई दूज का पर्व- 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार

तिलक के अन्य शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:48 से दोपहर 12:33 तक

विजय मुहूर्त- दोपहर 01:58 से 02:43 तक

शाम का शुभ मुहूर्त- शाम 06:56 से रात 08:44 तक (अमृत काल)

यमराज और यमुना की कथा

सूर्यदेव की पत्नी छाया की दो संतानें थीं। एक पुत्र यमराज और एक पुत्री यमुना। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती थी और उन्हें अक्सर अपने घर आकर भोजन करने के लिए बुलाती थी। यमराज अपने व्यस्त जीवन के कारण यमुना की बात को टाल देते थे। एक बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमराज अचानक अपनी बहन यमुना के घर पहुंचे। अपने भाई को द्वार पर देखकर यमुना बहुत प्रसन्न हुई। यमुना ने प्रेम और आदर के साथ अपने भाई यमराज का स्वागत किया, उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया और उनका तिलक किया। बहन के इस आतिथ्य सत्कार और स्नेह से यमराज बहुत खुश हुए। यमराज ने यमुना से वरदान मांगने को कहा। यमुना ने कहा कि वे हर साल इस दिन उनके घर भोजन करने आएं। यमुना ने यह भी वरदान मांगा कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाकर भोजन करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। यमराज ने तथास्तु कहकर यह वरदान स्वीकार कर लिया और उन्हें कई तरह के उपहार दिए। तभी से यह पर्व भैया दूज के नाम से मनाया जाने लगा। यह कहानी भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाती है और बताती है कि कैसे इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं।

इस परंपरा का महत्व

भाई-बहन का स्नेह- यह कथा भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाती है, जहां बहन अपने भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती है।

पारिवारिक बंधन- यह पर्व परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे के करीब लाता है और आपसी रिश्तों को मजबूत करता है।

आशीर्वाद और सुरक्षा- बहन का तिलक और अपने हाथ से बना भोजन भाई के लिए आशीर्वाद माना जाता है, जिससे उसे हर मुश्किल और मृत्यु के भय से सुरक्षा मिलती है।

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