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बिहार विधानसभा चुनाव: सीटों के बंटवारे को लेकर उठा-पटक शुरू...राजद-कांग्रेस की मटन पार्टी क्या रंग लाएगी

पटना। इस बार बिहार में विधानसभा का चुनाव दिलचस्प मोड़ लेने वाला है। बता दें कि कुछ ही हफ्ते बाद विधानसभा चुनाव 2025 का शंखनाद होने वाला है। लेकिन इससे पहले सीटों के बंटवारे को लेकर तमाम दलों के बीच मंथन किया जा रहा है। अब बात महागठबंधन की हो अथवा एनडीए चुनाव का औपचारिक ऐलान होना, इस बार सीटों को आवंटित करना टेढ़ी खीर दिखाई दे रही है।
महागठबंधन में नए सहयोगियों के प्रवेश ने चुनावी गणित को उलझाया
अब तक की जानकारी पर गौर करें तो NDA में चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और कुशवाहा की मांग से बाधा खड़ी हो रही है। महागठबंधन में नए सहयोगियों के प्रवेश ने चुनावी गणित को उलझा दिया है। लोजपा पार्टी और हम पार्टी दोनों ही सीटों को लेकर सबसे अधिक दाव-पेंच खेल रही हैं। जहां लोजपा को 40 से अधिक सीटें चाहिए तो हम को भी 15 सीटों से कम मंजूर नहीं है। वहीं एनडीए की बात करें तो दोनों दलों को इसका आधा सीट देने का सोच रही हैं। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी का दल जहां अपनी बात को मुखरता से रख दिया है, तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन उनकी नजरें भी करीब 10 सीटों पर टिकी हैं। ये तीन तिगाड़ा का चुनावी समीकरण कैसा रहेगा, जल्द ही साफ हो जाएगा।
चुनावी समीकरण में कितनी कामयाब होगी मटन पार्टी
RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की जिंदगी हो या सियासी दाव दोनों ही सबसे जुदा है। उन्हें जरूरत पड़ती है तो सोनिया गांधी से बात कर लेते हैं। राहुल गांधी को वह बिल्कुल अपने बच्चे की तरह डील करते दिखाई देते हैं। बता दें, कि पिछली बार दिल्ली में मटन पार्टी पर बुलाया था तबसे मुलाकातों को सिलसिला जारी है। पटना में विपक्षी दलों की बैठक में लालू प्रसाद ने आगे होकर राहुल गांधी को बुलाया था। उस बैठक में वो बीच- बीच में हंसते हुए राहुल गांधी को दूल्हा बनाने की बात बोल देते थे। लेकिन, जब बारी बिहार चुनाव में सीटों के बंटवारे की आई तो महागठबंधन के अंदर राजद का प्रभाव अधिक देखने को मिला। इस बार उन्होंने तेजस्वी यादव को चुनाव की सुगबुगाहट से पहले ही कमान दे दी। आखिर अपना बेटा अपना ही होता है। जानकारी के मुताबिक, तेजस्वी यादव ने कहा है कि राजद इस बार अपने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। तेजस्वी के मुताबिक, संप्रग सरकार को हटाना जरूरी है। वहीं राजद के इस फैसले पर राहुल गांधी सरेंडर करते दिखाई दे रहे हैं। लेकिन तेजस्वी का ये बयान देना केवल चुनावी रणनीति ही नहीं है, यह महागठबंधन को कमजोर कर सकता है।
किसका कितना फायदा उठाया
अब राजद के अंदर सियासी मुद्दा बना हुआ है कि वोटर अधिकार यात्रा में तेजस्वी यादव ने अपनी ताकत लगाई थी, जिसका फायदा कांग्रेस ने उठा लिया है। यात्रा में कांग्रेस का प्रभाव अधिक दिखा, जिससे राजद थोड़ा दब गया। ऐसे में किसने कितना किसका फायदा उठाया, जल्द ही पता चलेगा।