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बिहार में बंद चीनी मिलों को मिलेगी नई जिंदगी, नीतीश सरकार ने किया बड़ा प्लान तैयार

बिहार में गन्ना उद्योग लंबे समय से ठहराव की स्थिति में रहा है, लेकिन अब इस क्षेत्र के अच्छे दिनों की शुरुआत होने वाली है। राज्य की नीतीश कुमार सरकार ने बंद पड़ी चीनी मिलों के पुनरुद्धार और नई मिलों की स्थापना को लेकर बड़ा ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है। सोमवार को मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में गन्ना उद्योग विभाग से बंद मिलों और नई प्रस्तावित मिलों के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई। इस कदम को बिहार के ग्रामीण अर्थतंत्र, किसानों की आय और रोजगार को नए स्तर पर ले जाने वाली पहल के रूप में देखा जा रहा है।
बैठक में गन्ना उद्योग विभाग के प्रधान सचिव नर्मदेश्वर लाल ने प्रदेश की सक्रिय और बंद पड़ी चीनी मिलों की स्थिति, उनकी क्षमता और भविष्य की संभावनाओं पर व्यापक प्रस्तुतीकरण दिया। इसमें यह बताया गया कि कई मिलें वर्षों से बंद पड़ी हैं और विशाल बुनियादी ढांचे के बावजूद उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया कि कई क्षेत्रों में गन्ने की खेती बड़ी मात्रा में होती है, लेकिन मिलें न चलने के कारण किसानों को इसका सीधा लाभ नहीं मिल पाता।
मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने विभाग को निर्देश दिया कि अगली बैठक से पहले सभी दस्तावेजों और प्रस्तावों का गहन अध्ययन कर एक समेकित और तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार की जाए। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार यह तय करेगी कि किन-किन चीनी मिलों को पुनर्जीवित किया जाए और कहां नई मिलें स्थापित की जाएं। सरकार का लक्ष्य है कि गन्ना किसानों को उचित मूल्य मिले, स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार सृजित हों और बिहार का औद्योगिक ढांचा मजबूत बने।
इस बड़े निर्णय के पीछे हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया वह महत्वपूर्ण संकल्प है, जिसके तहत राज्य में गन्ना उद्योग को नई गति देने का फैसला किया गया था। इसके लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की गयी है, जिसमें विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। समिति का काम नीतियां बनाना, वित्तीय और तकनीकी संभावनाओं का मूल्यांकन करना तथा चीनी उद्योग को पुनर्जीवित करने की ठोस कार्ययोजना तैयार करना है।
बैठक में गन्ना आयुक्त अनिल कुमार झा, उद्योग विभाग के सचिव कुंदन कुमार, निदेशक मुकुल कुमार गुप्ता और सहकारिता विभाग के सचिव धर्मेंद्र सिंह भी उपस्थित थे। चर्चा में यह भी प्रस्तावित किया गया कि राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों को भी समिति में शामिल किया जा सकता है ताकि गन्ना उद्योग के पुनरोद्धार में आधुनिक तकनीक और अनुभव का उपयोग हो सके।
गौरतलब है कि बिहार एक समय देश के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में शामिल था, लेकिन मिलों के बंद होने से यह उद्योग लगभग ठहर गया। अब सरकार के इस नए प्रयास से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में न केवल किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि पूरे राज्य में औद्योगिक विकास को नई गति मिलेगी।




