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उपचुनाव में जीत से केजरीवाल और आप को मिला संजीवनी, दिल्ली की हार के बाद बढ़ा मनोबल

दिल्ली में मिली करारी हार के कुछ महीनों बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने पंजाब और गुजरात में उपचुनावों में शानदार जीत दर्ज कर एक बार फिर राजनीतिक वापसी की है।
हालांकि पंजाब की लुधियाना वेस्ट सीट पर संजीव अरोड़ा की जीत अहम है, लेकिन गुजरात की विसावदर सीट से गोपाल इटालिया की विजय आप और उसके नेता अरविंद केजरीवाल के लिए एक बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है। यह सीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य में है, जिससे इसकी राजनीतिक अहमियत और बढ़ जाती है।
गौरतलब है कि विसावदर 2007 के बाद से भारतीय जनता पार्टी का मजबूत गढ़ नहीं रहा है, बावजूद इसके बीजेपी पिछले 30 वर्षों से गुजरात में सत्ता में बनी हुई है। इस सीट से वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में आप के उम्मीदवार भूपेंद्र भयानी ने जीत दर्ज की थी, लेकिन फरवरी 2024 में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।
आमतौर पर सत्ताधारी पार्टी उपचुनाव में हारती नहीं है, इसलिए आप की यह जीत खास मानी जा रही है। इससे यह भी साफ हो गया है कि गुजरात में अब आप भाजपा की मुख्य विरोधी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि कांग्रेस तीसरे पायदान पर खिसक गई है।
अरविंद केजरीवाल ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि अब गुजरात में मुकाबला सीधा आप और भाजपा के बीच है। उन्होंने कांग्रेस पर भाजपा से मिलीभगत का आरोप भी लगाया है।
दिल्ली की शराब नीति मामले में जेल जाने के बाद केजरीवाल के लिए यह चुनावी जीत प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को जवाब देने का एक बड़ा मौका भी माना जा रहा है। अब माना जा रहा है कि वे 2027 के विधानसभा चुनाव तक गुजरात में ज्यादा वक्त बिताएंगे।
दिल्ली में हार के बाद केजरीवाल ने पंजाब पर अपना ध्यान केंद्रित किया था, जिसके चलते उन पर यह आरोप भी लगे कि वह दिल्ली से ही पंजाब की सरकार चला रहे हैं। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा आम रही है कि पंजाब सरकार के फैसले वास्तव में दिल्ली से लिए जा रहे हैं और मुख्यमंत्री भगवंत मान केवल नाम मात्र के मुखिया हैं।
केजरीवाल और आप के लिए पंजाब को बनाए रखना बेहद जरूरी है, न केवल राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार रखने के लिए, बल्कि देश की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए भी।
लुधियाना वेस्ट में संजीव अरोड़ा की जीत ने यह दिखा दिया कि आप अपने विरोधियों की धारणा को चुनौती देने में सक्षम है। कई लोगों ने अनुमान लगाया था कि पंजाब सरकार के खिलाफ जनता में भारी नाराजगी है, लेकिन इस जीत ने इन कयासों को झूठा साबित कर दिया।
आप का यह उभार कांग्रेस की कीमत पर हुआ है, जो कई राज्यों में अपनी जमीन खोती नजर आ रही है। गुजरात के अलावा आप की नजर अब गोवा और बिहार जैसे राज्यों पर भी है, जहां वह आगामी विधानसभा चुनावों में बड़ी संख्या में उम्मीदवार उतार सकती है।
वहीं कांग्रेस के लिए एकमात्र राहत की बात यह रही कि केरल की नीलांबूर सीट से उसने वामपंथी सत्तारूढ़ पार्टी को हराकर उपचुनाव में जीत हासिल की है, जो कि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले उसके लिए उम्मीद की किरण मानी जा रही है।