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शनिवार को न्याय के देवता को शमी पत्र चढ़ाकर ऐसे मनाएं! जानें शनिदेव को क्यों है प्रिय यह पत्ते...

शनिवार को शमी के पौधे की पूजा करने की परंपरा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इसके पीछे धार्मिक, पौराणिक और आध्यात्मिक कारण हैं। ऐसा कहा जाता है कि शमी के पौधे की पूजा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। क्योंकि शमी पत्र शनि देव को अत्यधिक प्रिय है।
1. शनि देव का प्रिय वृक्ष
शमी का पेड़ शनि देव का प्रिय माना जाता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति शनिवार के दिन शमी के पेड़ की पूजा करता है, उसकी जीवन में शनि की कृपा बनी रहती है और उसे शनि दोष, साढ़ेसाती या ढैय्या से राहत मिलती है। शमी की पत्तियां शनि देव को अर्पित करने से उनके क्रोध को शांति मिलती है।
2. महाभारत से संबंध
ऐसा कहा जाता है कि महाभारत में अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष को शमी के पेड़ में छिपाया था, जब पांडव अज्ञातवास में थे। अज्ञातवास पूरा होने पर अर्जुन ने शमी के पेड़ से ही अपना धनुष निकालकर युद्ध जीता था। इसलिए शमी के पेड़ को विजय का प्रतीक माना जाता है। शनिवार को शमी की पूजा करने से साहस, सफलता और विजय प्राप्त होती है
3. शमी और अग्नि का संबंध
शमी की लकड़ी को अग्नि उत्पन्न करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है — प्राचीन काल में अरणि मंथन (लकड़ी रगड़कर आग जलाने की विधि) में शमी का प्रयोग होता था। इसलिए इसे ऊर्जा, शक्ति और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
4. पूजा विधि
शनिवार की सुबह या संध्या के समय शमी के पेड़ के नीचे दीपक जलाया जाता है। तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। शमी के पत्ते भगवान शनि को चढ़ाई जाती हैं। उसके बाद ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र से 108 बार जप किया जाता है। जल, गुड़, काला तिल और नीले फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
5. लाभ
शनि दोष से मुक्ति
व्यवसाय और जीवन में स्थिरता
घर-परिवार में शांति
शत्रुओं पर विजय




