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शपथ के बाद CJI सूर्यकांत का पहला दिन: दो घंटे में 17 मामलों की सुनवाई, वकीलों ने दी बधाई

DeskNoida
24 Nov 2025 11:30 PM IST
शपथ के बाद CJI सूर्यकांत का पहला दिन: दो घंटे में 17 मामलों की सुनवाई, वकीलों ने दी बधाई
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राष्ट्रपति भवन में हुए औपचारिक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके कुछ ही देर बाद वे सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और वहां अपना नया दायित्व संभाला।

देश के नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार, 24 नवंबर को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में हुए औपचारिक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके कुछ ही देर बाद वे सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और वहां अपना नया दायित्व संभाला।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने सबसे पहले परिसर में लगी महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित किए, जिसके बाद उन्होंने अदालत की कार्यवाही शुरू की। मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने पहले दिन ही उन्होंने सिर्फ दो घंटे में 17 मामलों की सुनवाई की, जिससे न्यायिक प्रक्रिया के प्रति उनकी प्रतिबद्धता साफ दिखाई दी।

तीन जजों की पीठ की अध्यक्षता

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की बेंच में जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस अतल एस. चंदुरकर भी शामिल थे। पहले ही दिन उन्होंने हिमाचल प्रदेश की एक निजी फर्म से जुड़े मामले पर अपना पहला आदेश सुनाया।

सीजेआई के कार्यभार संभालने के तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) के अध्यक्ष विपिन नायर ने उनका स्वागत किया। इस दौरान वकीलों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और पूरा कोर्टरूम तालियों से गूंज उठा।

इसी दौरान एक वकील ने उन्हें संबोधित करते हुए कहा— “यह किसान का बेटा है, जो भारत का मुख्य न्यायाधीश बन गया।”

इस टिप्पणी पर जस्टिस सूर्यकांत मुस्कुराए और जवाब दिया— “धन्यवाद। मुझे चंडीगढ़ के कई युवा वकील भी नजर आ रहे हैं।”

कार्यशैली में बदलाव का संकेत

जस्टिस सूर्यकांत ने कार्यवाही के दौरान यह स्पष्ट कर दिया कि मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया अब सख्ती से लिखित नियमों के तहत होगी। उन्होंने कहा: “यदि किसी मामले में जल्दी सुनवाई की जरूरत है, तो कारण लिखित रूप में प्रस्तुत करें। केवल असाधारण स्थितियों—जैसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता या मृत्युदंड—में मौखिक आग्रह स्वीकार होगा।”

यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट की कार्य पद्धति मेंएक महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है। इससे पहले पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना ने मौखिक अनुरोधों को प्रतिबंधित किया था, लेकिन जस्टिस गवई ने इस प्रक्रिया को फिर शुरू किया था।

आगे क्या?

जस्टिस सूर्यकांत का पहला दिन दर्शाता है कि वे न्यायिक प्रक्रिया में गति और संयम दोनों को प्राथमिकता देंगे। कानूनी विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि उनके कार्यकाल में पेंडिंग मामलों का तेजी से निपटारा एक महत्वपूर्ण एजेंडा रहेगा।

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