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आस्था और इतिहास का अनोखा संगम दक्षिणेश्वर काली मंदिर! दर्शनमात्र से पूरी होती हैं सारी मनोकामनाएं

Anjali Tyagi
24 Sept 2025 1:42 PM IST
आस्था और इतिहास का अनोखा संगम दक्षिणेश्वर काली मंदिर! दर्शनमात्र से पूरी होती हैं सारी मनोकामनाएं
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कोलकाता। कोलकाता में हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर, आस्था और इतिहास का एक अद्भुत संगम है। यह मंदिर न केवल लाखों भक्तों के लिए आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि यहां दर्शनमात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता भी है। दक्षिणेश्वर काली मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा तीर्थ है जो आध्यात्मिक साधकों, इतिहास प्रेमियों और कला के पारखियों को अपनी ओर खींचता है। यह मंदिर आज भी रानी रासमणि के समाज सुधार के प्रयासों और स्वामी रामकृष्ण परमहंस की साधना की कहानी कहता है।

मंदिर का इतिहास

मंदिर का निर्माण 1855 में एक परोपकारी जमींदार और काली भक्त रानी रासमणि ने करवाया था। रानी रासमणि ने बनारस की तीर्थयात्रा पर निकलने से पहले एक स्वप्न देखा, जिसमें मां काली ने उन्हें गंगा नदी के तट पर एक मंदिर बनवाने का निर्देश दिया। इस स्वप्न के बाद उन्होंने अपनी यात्रा रद्द कर दी और मंदिर का निर्माण शुरू करवाया। रानी रासमणि की निचली जाति की पृष्ठभूमि के कारण, शुरू में कोई भी ब्राह्मण मंदिर का पुजारी बनने को तैयार नहीं था। बाद में, उनके दामाद की मदद से, उन्होंने मंदिर की देखभाल का जिम्मा रामकुमार चट्टोपाध्याय को सौंपा, जिनके छोटे भाई, गदाधर (जो बाद में रामकृष्ण परमहंस के नाम से जाने गए) मंदिर के पुजारी बने।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

यह मंदिर केवल पूजा का स्थान ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक साधना का भी केंद्र है। संत श्रीरामकृष्ण परमहंस ने यहां 14 साल तक तपस्या की थी। पंचवटी, बकुलतला घाट और नहबात खाना जैसी जगहें उनके आध्यात्मिक जीवन की कहानी बयां करती हैं। रानी रासमणि ने इस मंदिर को सभी धर्मों और जातियों के लिए खोला था। यही कारण है कि आज भी यहां हर व्यक्ति, चाहे उसका धर्म कोई भी हो, शांति और सुकून पाने आता है।

मंदिर की वास्तुकला और विशेषताएं

भव्य संरचना- यह मंदिर नौ शिखर वाली पारंपरिक बंगाली नव-रत्न शैली में बनाया गया है।

मुख्य देवी- गर्भगृह में मां काली को 'भवतारिणी' रूप में स्थापित किया गया है, जो भगवान शिव के वक्ष पर खड़ी हैं। यह मूर्ति एक हजार पंखुड़ियों वाले चाँदी के कमल पर रखी गई है।

शिव मंदिर- मुख्य मंदिर के चारों ओर 12 छोटे-छोटे शिव मंदिर हैं, जिनमें काले पत्थर के शिवलिंग स्थापित हैं।

राधा-कृष्ण मंदिर- परिसर में एक सुंदर राधा-कृष्ण मंदिर भी मौजूद है।

शांति और सुकून- गंगा नदी के किनारे स्थित यह मंदिर, अपनी भव्यता और शांत वातावरण के कारण भक्तों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करता है।

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