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भक्ति में विनम्रता होती है, अहंकार नहीं ...लड्डू गोपाल की सेवा के लिए, प्रेमानंद महाराज ने बताए खास नियम

Aryan
11 Dec 2025 3:20 PM IST
भक्ति में विनम्रता होती है, अहंकार नहीं ...लड्डू गोपाल की सेवा के लिए,  प्रेमानंद महाराज ने बताए खास नियम
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प्रेमानंद महाराज ने कहा अपनी भक्ति और प्रभु के साथ संबंध को निजी रखना चाहिए

वृंदावन। लड्डू गोपाल को भगवान श्री कृष्ण का बाल स्वरूप कहा जाता है। लेकिन इनकी पूजा विशेष ध्यान रखना होता है। अधिकतर घरों में बाल-गोपाल की मूर्ति स्थापित की जाती है और उनकी सेवा बहुत ही श्रद्धा से की जाती है। ऐसा कहते हैं कि लड्डू गोपाल की की पूजा और उनकी देखभाल करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है। दरअसल खास बात यह है कि लड्डू गोपाल की सेवा बिलकुल अपने छोटे बच्चे की तरह की जाती है। जैसे उनको खाना खिलाना, कपड़े पहनाने, सोने और खेलने की व्यवस्था करना इत्यादि। लेकिन इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए कि लड्डू गोपाल प्रभु परमात्मा के रूप हैं। इसलिए उनकी सेवा में श्रद्धा, भक्ति और नियमों का पालन करना अतिआवश्यक है। वहीं, प्रेमानंद महाराज ने बाल गोपाल की सेवा करने के कुछ साधारण और महत्वपूर्ण नियम बताए हैं। प्रेमानंद महाराज का कहना है कि यदि इन नियमों का सही तरीके से पालन किया जाएगा तो लड्डू गोपाल की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

पुरानी माला देखने से हो सकते हैं पुण्य नष्ट

महाराज के अनुसार, हर रात सोने से पहले लड्डू गोपाल की माला जरूर उतार दें। यह उनके प्रति आपकी सच्ची भक्ति और प्रेम का प्रतीक है। यदि सुबह-सुबह किसी तरह पुरानी माला पर नजर पड़ जाए, तो ऐसा कहा जाता है कि आपके सारे पुण्य नष्ट हो सकते हैं। प्रेमानंद महाराज आगे बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति रात के समय माला नहीं उतारता, तो इसका अर्थ है कि वह लड्डू गोपाल की सेवा अपने दिल से नहीं करता है। प्रेमानंद महाराज का कहना है कि नियम से सेवा करना जरूरी है, क्योंकि यह आपके पुण्य और आध्यात्म में वृद्धि करता है।

अहंकार और दिखावा ना करें

आज के समय में कई लोग अपने बाल-गोपाल की सेवा और उनके श्रृंगार को सोशल मीडिया पर शेयर कर देते हैं। इसे लेकर प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि भागवत में पढ़कर देखो, देवकी और वासुदेव से भगवान स्वयं कहते हैं कि मेरे चतुर्भुज रूप दिखाने का कारण यह है कि जब मैं बाल रूप धारण करूंगा, तो तुम मेरी महिमा को पूरी तरह नहीं जान पाओगे। इस रूप से जानो कि मैं तुम्हारा पुत्र बनने जा रहा हूं, लेकिन साथ ही मैं परब्रह्मा, परमात्मा भी भी हूं।

बाल गोपाल को ब्रह्मा भाव और पुत्र भाव स्थापित करना चाहिए

इसी का ध्यान रखते हुए हमें बाल गोपाल को दोनों भावों में ब्रह्मा भाव और पुत्र भाव स्थापित करना चाहिए। देवकी और वासुदेव ने इस बाल रूप की प्रस्तुति की। प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि जब हम प्रभु से सच्चा प्रेम करते हैं, तो हमारा पूरा प्रेम केवल उनके प्रति ही आता है। इसलिए यह भाव रखना बेहद जरूरी है कि लड्डू गोपाल केवल बाल रूप में नहीं हैं, बल्कि वे सम्पूर्ण जगत के स्वामी भी हैं।

भक्ति में यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अपने अनुभवों और गोपाल जी की कृपा को सार्वजनिक करना अहंकार को जन्म देता है। असली भक्ति में दीनता और विनम्रता होती है, अहंकार नहीं। इसलिए अपनी भक्ति और प्रभु के साथ संबंध को निजी रखना चाहिए। कुछ चीजें, जैसे ठाकुर जी का स्नान, श्रृंगार, भोग या दुलार, भक्ति को बढ़ाने के लिए ठीक हैं, लेकिन इन्हें दिखाना उचित नहीं है।

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