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Devshayani Ekadashi 2025: आखिर क्यों 4 माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते है भगवान विष्णु, जानें शुभ मुहूर्त और शालिग्राम पूजा का महत्व

Anjali Tyagi
6 July 2025 8:00 AM IST
Devshayani Ekadashi 2025: आखिर क्यों 4 माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते है भगवान विष्णु, जानें शुभ मुहूर्त और शालिग्राम पूजा का महत्व
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नई दिल्ली। सनातन धर्म में आषाढ़ के महीने को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर देवशयनी एकादशी व्रत किया जाता है। देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत होती है। इस दौरान शुभ और मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं। धार्मिक मत है कि इस व्रत को करने से साधक के सभी पाप कट जाते हैं। इस तिथि पर भगवान विष्णु चार क्षीरसागर में योगनिद्रा के लिए चले जाते हैं। इस दौरान शुभ और मांगलिक काम करने की मनाही है। इस बार देवशयनी एकादशी 6 जुलाई 2025 को है।

देवशयनी एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत- 05 जुलाई को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन- 06 जुलाई को शाम 09 बजकर 14 मिनट पर देवशयनी एकादशी व्रत का पारण 06 जुलाई को किया जाएगा।

देवशयनी एकादशी का महत्व

बता दें कि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां 4 माह के लिए निवास करते हैं। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार देवशयनी एकादशी का अत्यंत महत्व है। इसे हरिशयनी एकादशी, पद्मा एकादशी और शयन एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि का संचालन प्रतीकात्मक रूप से भगवान शिव, माता पार्वती और अन्य देव शक्तियां संभालती हैं

शालिग्राम पूजा का महत्व

चूंकि एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है ऐसे में इस दिन श्रीकृष्ण के अलावा शालिग्राम रूप में भी विष्णु जी की पूजा का महत्व होता है, क्योंकि देवशउठनी एकादशी के दिन जब भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं तो माता तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह संपन्न कराया जाता है। विधि विधान से उनका पूजन होता है।

देवशयनी एकादशी पर शालिग्राम जी की पूजा विधि

1. स्नान और संकल्प- देवशयनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु का स्मरण करके व्रत और पूजा का संकल्प लें।

2. वेदी स्थापना- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करके एक वेदी पर पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर शालिग्राम जी को स्थापित करें।

3. अभिषेक- शालिग्राम जी का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से अभिषेक करें।

4. वस्त्र और श्रृंगार- शालिग्राम जी को पीले वस्त्र पहनाएं और चंदन, आभूषणों से उनका श्रृंगार करें।

5. पूजन सामग्री- रोली, मौली, हल्दी, गुलाल, अबीर, फूल, फल, धूप, दीप, कपूर और नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें।

6. भोग- शालिग्राम जी को केले, पंचमेवा, पंजीरी, पंचामृत आदि का भोग लगाएं, जिसमें तुलसी दल अवश्य शामिल करें।

7. मंत्र जाप- ॐ नमो नारायणाए मंत्र का जाप करें।

8. कथा श्रवण- देवशयनी एकादशी की कथा पढ़ें और आरती करें।

9. क्षमा याचना- पूजा के बाद, पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए भगवान से क्षमा याचना करें।

10. प्रसाद वितरण- पूजा के बाद, सभी में प्रसाद वितरित करें।

देवशयनी एकादशी पर ध्यान रखने योग्य बातें

- व्रत के दौरान तामसिक चीजों (प्याज, लहसुन, मांसाहार आदि) से दूर रहें।

- एकादशी व्रत में अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए, फलाहार करें।

- इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है, इसलिए तुलसी दल अवश्य अर्पित करें।

- देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ होता है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।

- इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है, अन्न, जल, फल, वस्त्र आदि का दान करें।

- देवशयनी एकादशी के दिन बाल नहीं धोने चाहिए और न ही बालों को काटना चाहिए।

देवशयनी एकादशी 2025 व्रत पारण टाइम

एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर ही करना चाहिए। इस बार देवशयनी एकादशी व्रत का पारण 07 जुलाई को किया जाएग। इस दिन सुबह 05 बजकर 29 मिनट से लेकर 08 बजकर 16 मिनट तक व्रत का पारण करने का शुभ मुहूर्त है।

दान का महत्व

मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान अवश्य करें। इस दिन दान का बहुत अधिक महत्व होता है।

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