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महज 14 दिनों बाद था वीरू का जन्मदिन, जानें धर्मेन्द्र के जीवन के अनछुए पहलू

Aryan
24 Nov 2025 3:25 PM IST
महज 14 दिनों बाद था वीरू का जन्मदिन, जानें धर्मेन्द्र के जीवन के अनछुए पहलू
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धर्मेंद्र ने अपने बेहतरीन अभिनय के दम पर कई पुरस्‍कार प्राप्‍त किए थे।

मुंबई। धर्मेन्द्र हिंदी फिल्‍मों के ऐसे मशहूर अभिनेता रहे हैं, जिन्हें भूल पाना नामुमकिन है। आज दिग्गज कलाकार धर्मेंद्र का देहावसान होते ही एक युग का अंत हो गया है। कहते हैं ना कि ‘जिंदगी एक सफर है सुहाना यहां कल क्या होगा किसने जाना, मौत आनी है आएगी एक दिन...’ इस गाने के बोल के साथ धर्मेंद्र पर भी फिट रही है। किसी ने नहीं सोचा होगा कि इस कदर हीमैन अपने चाहने वालों को अचानक से अलविदा कह देंगे। उनकी फिल्मों में रोल की बात करें तो शायद ही कोई रोल हो जिसमें वह नहीं जंचते थे। शोले मुवी में उनका किरदार दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ गया है। धर्मेंद्र खुद भी हिट थे और उनकी फिल्में भी हिट होती थी। इंसानियत की मिशाल थे धर्मेंद्र, वह जमीन से बेहद जुड़े थे।

राजनीति में भी रहे सक्रिय

फिल्‍मों के अलावा उन्‍होंने राजनीति में भी वही शोहरत हासिल की थी। धर्मेंद्र ने 2004 में बीजेपी के टिकट पर राजस्‍थान के बीकानेर से चुनाव लड़े और उसमें विजय हासिल कर 5 साल ताक वहां की जनता का लोकसभा में प्रतिनिधित्‍व किया।

धर्मेन्द्र का परिचय

धर्मेन्द्र का जन्म 8 दिसम्बर 1935 को फगवाडा, पंजाब में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई फगवाडा के आर्य हाई स्कूल एवं रामगढ़िया स्कूल से की है।

करियर में भूमिका

फिल्म सत्यकाम के सीधे सादे ईमानदार हीरो का रोल हो अथवा फिल्म शोले के एक्शन हीरो का हो चाहे फिल्म चुपके चुपके के कॉमेडियन हीरो का, सभी को सफलता पूर्वक निभाते थे। वह अभिनय प्रतिभा के धनी कलाकार थे। सन् 1960 में फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे से अभिनय की शुरुआत करने के बाद पूरे तीन दशकों तक धर्मेंद्र चलचित्र जगत में छाये रहे। उन्‍होंने केवल मेट्रिक तक ही शिक्षा प्राप्त की थी। स्कूल के समय से ही फिल्मों का इतना चाव था कि दिल्लगी (1949) फिल्म को 40 से भी अधिक बार देखा था। धर्मेंद्र अक्सर क्लास में पहुँचने के बजाय सिनेमा हॉल में पहुँच जाया करते थे। वह फिल्मों में प्रवेश के पहले रेलवे में क्लर्क थे और लगभग सवा सौ रुपये की तनख्वाह पर काम करते थे। 19 साल की उम्र में ही प्रकाश कौर के साथ उनकी शादी भी हो चुकी थी और अभिलाषा थी बड़ा अफसर बनने की।

धर्मेन्द्र अपने स्टंट खुद करते थे

फिल्मफेयर के एक प्रतियोगिता के दौरान अर्जुन हिंगोरानी को धर्मेंद्र पसंद आ गये और हिंगोरानी जी ने अपनी फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे के लिये 51 रुपये साइनिंग एमाउंट देकर उन्हें हीरो की भूमिका के लिये अनुबंधित कर लिया। पहली फिल्म में नायिका कुमकुम थीं। पहली फिल्म से कुछ विशेष पहचान नहीं बन पाई थी इसलिये अगले कुछ साल संघर्ष के बीते। संघर्ष के दिनों में जुहू में एक छोटे से कमरे में रहते थे। फिल्म अनपढ़ (1962), बंदिनी (1963) तथा सूरत और सीरत (1963) से लोगों ने उन्हें जाना, पर स्टार बने ओ.पी. रल्हन की फिल्म फूल और पत्थर (1966) से। धर्मेंद्र ने 200 से भी अधिक फिल्मों में काम किया है, कुछ अविस्मरणीय फिल्में हैं अनुपमा, मंझली दीदी, सत्यकाम, शोले, चुपके चुपके आदि। धर्मेन्द्र अपने स्टंट दृश्य बिना डुप्लीकेट की सहायता के स्वयं ही करते थे। धर्मेंद्र ने चिनप्पा देवर की फिल्म मां में एक चीते के साथ सही में फाइट किया था।

लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड जीते थे

धर्मेंद्र ने अपने बेहतरीन अभिनय के दम पर कई पुरस्‍कार प्राप्‍त किए थे। उन्‍हे फिल्‍मफेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्‍मानित किया गया था। इसके अलावा वह भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से भी सम्‍मानित किये जा चुके हैं।


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