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दो साल से कम उम्र के बच्चों को न पिलाएं कफ सिरप, मौतों के बाद केंद्र सरकार की एडवाइजरी

DeskNoida
4 Oct 2025 3:00 AM IST
दो साल से कम उम्र के बच्चों को न पिलाएं कफ सिरप, मौतों के बाद केंद्र सरकार की एडवाइजरी
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सरकार ने स्पष्ट कहा है कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए।

मध्य प्रदेश और राजस्थान में कथित रूप से कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने नई एडवाइजरी जारी की है। सरकार ने स्पष्ट कहा है कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए।

स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) की ओर से जारी इस एडवाइजरी में कहा गया है कि आमतौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी खांसी की दवा देने की अनुशंसा नहीं की जाती है।

एडवाइजरी में क्या कहा गया?

एडवाइजरी के अनुसार,

• किसी भी दवा के उपयोग से पहले सावधानीपूर्वक नैदानिक मूल्यांकन जरूरी है।

• बच्चों को दवा देते समय कड़ी निगरानी, उचित खुराक और न्यूनतम अवधि का ध्यान रखा जाए।

• कई दवाओं के संयोजन से बचा जाए।

• डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का पालन करने के लिए जनता को जागरूक किया जाए।

मौतों ने बढ़ाई चिंता

हाल ही में मध्य प्रदेश और राजस्थान में 11 बच्चों की मौत की खबर सामने आई। इसमें से 9 मौतें छिंदवाड़ा जिले में हुई हैं। शुरुआती जांच में जिन कफ सिरप पर सवाल उठे—कोल्ड्रिफ और नेस्टो डीएस—उनकी बिक्री पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।

हालांकि, शुरुआती जांच में सिरप के सैंपल में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) या एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) जैसे खतरनाक रसायनों के अंश नहीं मिले हैं। ये रसायन किडनी को नुकसान पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं।

डॉक्टरों का बयान और जांच की स्थिति

बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. पवन नंदुरकर ने कहा कि मौतें और किडनी की समस्या "कोल्ड्रिफ" कफ सिरप से जुड़ी मानी जा रही हैं, लेकिन जांच अभी भी जारी है। यह भी संभव है कि बच्चों में किडनी की चोट किसी और कारण से हुई हो।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सिरप के नमूनों में कोई खतरनाक रसायन नहीं मिला है। लेकिन एक विशेषज्ञ टीम अन्य संभावित कारणों की जांच कर रही है, जिनमें पानी, कीट वाहक और श्वसन संबंधी नमूने भी शामिल हैं।

विशेषज्ञों की संयुक्त टीम की जांच

इस जांच में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और अन्य संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हैं। टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और राज्य अधिकारियों के साथ मिलकर नमूने एकत्र किए हैं।

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