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भारत के पड़ोसी देशों में नहीं थम रहे भूकंप के झटके, म्यांमार में फिर हिली धरती; तीव्रता रही 3.8

DeskNoida
25 Nov 2025 3:00 AM IST
भारत के पड़ोसी देशों में नहीं थम रहे भूकंप के झटके, म्यांमार में फिर हिली धरती; तीव्रता रही 3.8
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नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर इसकी पुष्टि की है। शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप का केंद्र जमीन से लगभग 139 किलोमीटर की गहराई में था।

भारत के पड़ोसी देशों में भूगर्भीय गतिविधियां लगातार तेज होती जा रही हैं। हाल के दिनों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और भूटान में आए भूकंप के बाद अब म्यांमार में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। सोमवार शाम करीब 5:30 बजे 3.8 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर इसकी पुष्टि की है। शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप का केंद्र जमीन से लगभग 139 किलोमीटर की गहराई में था।

फिलहाल किसी नुकसान या जीवन हानि की सूचना नहीं मिली है, लेकिन लगातार हो रहे भूकंपों ने क्षेत्र में चिंता बढ़ा दी है। म्यांमार इस महीने इससे पहले भी हिला था। 16 नवंबर को 3.5 तीव्रता का भूकंप यहां आया था। इस तरह 10 दिनों में दूसरा भूकंप दर्ज किया गया है।

दक्षिण एशिया में बढ़ती सिस्मिक गतिविधि

यह सिर्फ म्यांमार ही नहीं है, बल्कि पिछले एक सप्ताह में भारत के आसपास के कई देश बार-बार भूकंप का झटका झेल रहे हैं। रविवार को भूटान में 3.9 तीव्रता का भूकंप आया था। उससे पहले शुक्रवार को पाकिस्तान और बांग्लादेश में शक्तिशाली भूकंप दर्ज किया गया।

बांग्लादेश में 5.7 तीव्रता का भूकंप सुबह महसूस किया गया था, जिसके झटके भारत के पूर्वोत्तर राज्यों—असम, त्रिपुरा और मेघालय तक गए। इस घटना में अब तक कम से कम 6 लोगों की मौत की खबर है, जबकि कई लोग घायल हुए हैं। वहीं पाकिस्तान में आया भूकंप 5.2 तीव्रता का था, जिसके झटके अफगानिस्तान में भी महसूस किए गए।

क्यों बढ़ रही हैं भूकंपीय घटनाएं?

विशेषज्ञ बताते हैं कि पूरा दक्षिण एशिया क्षेत्र हिमालयन सिस्मिक बेल्ट का हिस्सा है, जहां टेक्टोनिक प्लेटों की लगातार हलचल होती रहती है। इंडियन प्लेट, यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है, जिसके कारण यह क्षेत्र भूकंप के लिहाज से अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है।

सतर्कता की जरूरत

भूकंप विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार छोटे भूकंप कभी-कभी बड़े भूकंप के संकेत भी हो सकते हैं। हालांकि अभी इस बात पर कोई आधिकारिक निष्कर्ष नहीं निकला है, लेकिन विशेषज्ञ नागरिकों को भूकंप सुरक्षा नियमों का पालन करने की सलाह दे रहे हैं।

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