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चुनाव आयोग की सख्ती का असर: यूपी पंचायत चुनावों में मची हलचल, शहरों में रहने वालों से गिड़गिड़ा रहे प्रधान और प्रत्याशी

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण (एसआईआर) ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। चुनाव आयोग की सख्ती के चलते लाखों लोगों के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। एसआईआर के दौरान प्रदेश में 24 लाख डुप्लीकेट वोटर चिह्नित हुए हैं—ये वे लोग हैं जिनके नाम मतदाता सूची में दो या दो से अधिक स्थानों पर दर्ज हैं। कई ऐसे मतदाता भी मिले जिनका नाम गांव और शहर दोनों जगह है। नियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति केवल एक स्थान से ही मतदाता सूची में अपना दर्ज फॉर्म मान्य करा सकता है, ऐसे में लोग अपने स्थाई गांव के मतदाता बने रहने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
अब तक पंचायत चुनावों की मतदाता सूची और विधानसभा/लोकसभा चुनावों की सूची अलग-अलग समय पर तैयार होती थी। इससे दोनों सूचियों का आपस में मिलान नहीं हो पाता था, जिसके कारण लाखों लोगों के नाम दो जगहों पर बने रहते थे। लेकिन अब "एक देश, एक चुनाव" और त्रुटिरहित मतदाता सूची बनाने की दिशा में तकनीकी हस्तक्षेप बढ़ने से लोग सतर्क हो गए हैं। वहीं दूसरी ओर, पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे ग्राम प्रधान और प्रत्याशी परेशान हैं, क्योंकि शहरों में नौकरी-पढ़ाई के लिए रहने वाले ग्रामीणों से वे लगातार अनुरोध कर रहे हैं कि वे गांव के मतदाता ही बने रहें।
एसआईआर के शुरू होते ही चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया था कि जिन लोगों के नाम दोनों जगह दर्ज हैं, उन्हें दोनों स्थानों पर गणना प्रपत्र भेजे जाएंगे। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा-31 के अनुसार अगर कोई मतदाता दो जगह से फॉर्म भरता है, तो उसे एक वर्ष तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं। इस चेतावनी के बाद बड़ी संख्या में लोग शहर की बजाय अपने गांव को मतदाता केंद्र के रूप में चुन रहे हैं ताकि किसी कानूनी कार्रवाई का सामना न करना पड़े।
पंचायत चुनाव मई 2026 से पहले होने हैं, ऐसे में जिन लोगों का पुश्तैनी घर और खेती गांव में है, उन पर गांव का मतदाता बने रहने का दबाव और बढ़ गया है। हालांकि पंचायत चुनाव की मतदाता सूची अलग से तैयार होती है, लेकिन इस समय इसे भी अपडेट किया जा रहा है। चुनाव आयोग 23 दिसंबर को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी करेगा।
फिलहाल शहरी और ग्रामीण दोनों जगह वोटर बने लोग अब सिर्फ एक स्थान का ही फॉर्म भर रहे हैं, क्योंकि गणना प्रपत्र भरते समय उन्हें हस्ताक्षर करके यह घोषणा करनी होती है कि दी गई सभी जानकारी सही है। अगर बाद में किसी व्यक्ति के दो फॉर्म पाए जाते हैं, तो चुनाव आयोग की सख्ती की वजह से उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
इस पूरी प्रक्रिया ने न केवल मतदाताओं को जागरूक किया है बल्कि पंचायत चुनाव क्षेत्र में राजनीतिक हलचल को भी तेज कर दिया है, क्योंकि हर प्रत्याशी अधिक से अधिक समर्थक वोटरों को अपने गांव में बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।




