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मुझे माफ करना चींटियों के साथ रहना मेरी गलती नहीं...महिला ने किया सुसाइड, इस रोग से थी ग्रस्त

Aryan
7 Nov 2025 2:02 PM IST
मुझे माफ करना चींटियों के साथ रहना मेरी गलती नहीं...महिला ने किया सुसाइड, इस रोग से थी ग्रस्त
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इस रोग के लिए उसने मंचेरियल के एक मनोवैज्ञानिक से सलाह ली थी

संगारेड्डी। तेलंगाना के संगारेड्डी जिले से अजीबोगरीब खबर आई है। दरअसल यह ऐसा मामला है कि आप भी सुनकर चौंक जाएंगे। अमीनपुर थाना क्षेत्र की महिला ने चींटियों से डरकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस मामले के बारे में पुलिस ने जानकारी दी कि मंचेरियल निवासी सॉफ्टवेयर कर्मचारी दयावनपल्ली श्रीकांत की शादी 2022 में मृतक मनीषा के साथ हुई थी। दोनों को तीन साल की बच्ची है।

सबइंस्पेक्टर ने कहा

सबइंस्पेक्टर ने कहा कि वो कुछ वक्त से पाटनचेरु मंडल के अमीनपुर इलाके में नव्या होम्स में रह रहे हैं। मनीषा बचपन से ही मायर्मिकोफोबिया नामक रोग से पीड़ित थी। इस रोग के लिए उसने मंचेरियल के एक मनोवैज्ञानिक से सलाह ली थी। लेकिन जब श्रीकांत काम पर से लौटे, तब उनके घर के दरवाजे अंदर से बंद थे। जब पति श्रीकांत से दरवाजा नहीं खुला तो उन्होंने उसे तोड़ दिया, फिर देखा कि मनीषा फंदे से लटकी मिली।

कागज पर लिखा था- अपनी मां को चावल देना मत भूलना

मनीषा ने एक कागज पर लिखा था कि श्री अयम, मुझे माफ कर देना चींटियों के साथ रहना मेरी गलती नहीं है। सतर्क रहना, बच्चे। अन्नावरम और तिरुपति की अपनी मन्नतें पूरी करना। अपनी मां को चावल देना मत भूलना।

चींटियों से डर गई थी महिला

मनीषा ने आत्महत्या करने से पहले कहा कि वह घर की सफाई करेगी और अपने बच्चे को किसी रिश्तेदार के पास रख देगी। इसी समय वह घर की सफाई करते समय वह शायद चींटियों से डर गई होगी।

पुलिस ने दर्ज किया मामला

पुलिस ने इस मामले को दर्ज कर लिया है। मृतक के पिता की शिकायत के आधार पर जांच की जा रही है। वहीं, मनोवैज्ञानिकों के अनुसार मायर्मिकोफोबिया से ग्रस्त लोगों को चींटियां देखकर बहुत घबराहट होने लगती है।

मायर्मेकोफोबिया मानसिक रोग

दरअसल मायर्मेकोफोबिया में इंसान को चींटियों से बहुत डर लगता है। इस दौरान शारीरिक और भावनात्मक लक्षण उत्पन्न होते हैं। इसमें घबराहट के दौरान दौरे पड़ने लगते हैं, साथ ही शरीर में कंपन्न होने लगता है। इसके अलावा जी मिचलना और मतली आने के साथ ही भागने की इच्छा पैदा होती है।

चींटियों का झुंड कर देगा हमला

गौरतलब है कि मरीज को लगता है कि चींटियों को केवल देखने से ही चिंता और घबराहट के दौरे पड़ते हैं। ऐसे में मरीज को लगता है कि जैसे चींटियों का झुंड उन पर हमला करने वाला है। इस दौरान दिल की धड़कन बढ़ जाती है, सांस लेने में कठिनाई होती है।


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