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क्या महिलाएं भी कर सकती हैं अंतिम संस्कार? गरुण पुराण में छिपा है इसका जवाब

Anjali Tyagi
27 Nov 2025 8:00 AM IST
क्या महिलाएं भी कर सकती हैं अंतिम संस्कार? गरुण पुराण में छिपा है इसका जवाब
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नई दिल्ली। हिंदू धर्म में, परंपरागत रूप से अंतिम संस्कार और मुखाग्नि (अंतिम अग्नि) देने का अधिकार परिवार के पुरुष सदस्यों को दिया गया है, खासकर ज्येष्ठ पुत्र को। हालांकि, गरुड़ पुराण विशेष परिस्थितियों में महिलाओं द्वारा अंतिम संस्कार करने की अनुमति देता है। गरुण पुराण 18 महापुराणों में शामिल है. गरुण पुराण में जन्म के बाद मृत्यु और आत्मा की यात्रा के बारे में विस्तार से बताया गया है। गरुण पुराण में अंतिम संस्कार के बारे में भी बताया गया है। अंतिम संस्कार से संबंधित बात गरुड़ पुराण के प्रेत खंड के अध्याय आठ में लिखी है। इस अध्याय में भगवान श्री हरि विष्णु ने गरुड़ को बताया है कि किसी व्यक्ति के निधन के बाद उसके अंतिम संस्कार का हक किसको होता है?

गरुड़ पुराण क्या कहता है

पुरुषों की अनुपस्थिति: गरुड़ पुराण के प्रेत खंड के अध्याय 8 में बताया गया है कि यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य, जैसे बेटा, पोता, या पुरुष रिश्तेदार उपलब्ध नहीं है, तो महिलाएँ अंतिम संस्कार कर सकती हैं।

सामाजिक कारण: महिलाओं को श्मशान घाट न जाने देने के पीछे मुख्य रूप से सामाजिक और व्यावहारिक कारण रहे हैं, न कि कोई कठोर शास्त्रीय निषेध। माना जाता था कि महिलाओं का हृदय कोमल होता है और वे श्मशान के वातावरण को सहन नहीं कर पातीं, जिससे अनुष्ठानों में बाधा आ सकती थी। एक अन्य कारण यह है कि श्मशान घाट पर मृतक के परिवार के पुरुष सदस्यों को मुंडन करवाना पड़ता है, जिसे महिलाओं के लिए शुभ नहीं माना जाता। ऐतिहासिक रूप से, महिलाओं को घर पर रहकर घर की शुद्धि और आने वाले लोगों की देखभाल की जिम्मेदारी दी जाती थी, जबकि पुरुष बाहर का कार्य संभालते थे।

आधुनिक परिप्रेक्ष्य: बदलते समय के साथ, कई परिवारों में बेटियाँ भी अब अपने माता-पिता या प्रियजनों का अंतिम संस्कार कर रही हैं। आधुनिक दृष्टिकोण इस बात पर जोर देता है कि दुःख और प्रेम का कोई लिंग नहीं होता। संक्षेप में, गरुड़ पुराण महिलाओं को अंतिम संस्कार करने से पूरी तरह नहीं रोकता, बल्कि इसे एक अपवाद के रूप में देखता है जब कोई पुरुष रिश्तेदार मौजूद न हो।

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