
- Home
- /
- मुख्य समाचार
- /
- सरकारी बैंकों ने किए...
सरकारी बैंकों ने किए 6.15 लाख करोड़ के लोन 'राइट ऑफ'! RBI के डेटा से हुआ खुलासा

नई दिल्ली। सरकारी बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों और चालू वित्त वर्ष (सितंबर 2025 तक) में कुल मिलाकर रुपया 6.15 लाख करोड़ रुपये के लोन को अपनी खातों से हटा दिया है, मतलब राइट ऑफ कर दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
इन बैंकों को कोई नई कैपिटल नहीं दी गई
वित्तीय वर्ष 2022-23 के बाद से बैंकों को कोई नई कैपिटल नहीं दी गई। वित्तीय वर्ष 2020-21 में सबसे अधिक रुपया1.33 लाख करोड़ रुपये के लोन राइट ऑफ किए गए थे। पिछले पांच सालों में बैंकों राइट ऑफ किए गए इन लोनों में से केवल रुपया 1.65 लाख करोड़ रुपये ही वापस वसूल पाए हैं। दरअसल बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन बेहतर होने की वजह से केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के बाद से इन बैंकों को कोई नई कैपिटल नहीं दी है।
'राइट-ऑफ' का मतलब
राज्य वित्त मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में बताया कि लोन को 'राइट ऑफ' करना लोन वेवियर नहीं है। जब कोई लोन NPA बन जाता है और उसकी वसूली की उम्मीद कम हो जाती है, तो बैंक RBI के नियमों के तहत 4 साल बाद उसे अपनी बैलेंस शीट से हटा देते हैं। बता दें कि यह केवल अकाउंटिंग का एक तरीका है ताकि बैंकों की बैलेंस शीट साफ दिखे और उन्हें टैक्स में मुनाफा मिल सके। राइट ऑफ होने के बावजूद भी कर्ज लेने वाला व्यक्ति या कंपनी उस लोन को चुकाने के लिए पूरी तरह जिम्मेदार बना रहता है। बैंक इन लोनों को वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई करते रहते हैं, जैसे कि सिविल कोर्ट, DRT और NCLT में केस करना। वहीं वसूली के बाद बैंक की इनकम माना जाता है।
बैंकों की लिक्विडिटी पर कोई असर नहीं पड़ता
गौरतलब है कि सरकार के मुताबिक, राइट ऑफ करने से बैंकों की लिक्विडिटी पर कोई असर नहीं पड़ता है। क्योंकि बैंकों इन लोनों के लिए पहले ही प्रावधान कर लेते हैं।
अब बैंक आंतरिक कमाई और बाजार से फंडिंग पर आश्रित हैं
सरकार ने कैपिटल देना बंद कर दिया है, इसलिए सरकारी बैंक अब अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार से पैसा जुटा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, अप्रैल 2022 से सितंबर 2025 के बीच बैंकों ने शेयर और बॉन्ड जारी करके रुपया 1.79 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। सरकार ने कहा है कि अब बैंक आंतरिक कमाई और बाजार से फंडिंग पर आश्रित हैं।




