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हनुमान जी अंतरिक्ष में जाने वाले पहले व्यक्ति थे...अनुराग ठाकुर के इस बयान पर सियासत तेज! विपक्ष ने साधा निशाना

नई दिल्ली। बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर के एक बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। इसपर विपक्ष निशाना साध रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर स्कूल के बच्चों से बात की। इस मौके पर उन्होंने बच्चों से कहा कि अंतरिक्ष पर जाने वाले सबसे पहले व्यक्ति हनुमान जी थे। डीएमके ने कहा कि अनुराग ठाकुर तथ्यों को खत्म करके कहानियां बना रहे हैं और बच्चों को काल्पनिक बातें सिखा रहे हैं।
हमें सिर्फ वही नहीं पढ़ना चाहिए जो अंग्रेजों ने दिया
बता दें कि अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश के ऊना में जवाहर नवोदय विद्यालय में बच्चों से बात कर रहे थे। जहां उन्होंने बच्चों से पूछा कि अंतरिक्ष में जाने वाला पहला शख्स कौन था? बच्चों ने जवाब दिया कि नील आर्मस्ट्रांग अंतरिक्ष पर जानेवाले सबसे पहले शख्स थे। इस पर अनुराग ठाकुर ने कहा कि मुझे लगता है हनुमान जी अंतरिक्ष में जाने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने कहा कि हमें सिर्फ वही नहीं पढ़ना चाहिए जो अंग्रेजों ने हमें किताबों में दिया है। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे हमारे वेदों, हमारी किताबों और हमारे ज्ञान की ओर देखें। उन्होंने कहा कि इससे छात्रों को बहुत कुछ देखने को मिलेगा।
वैज्ञानिकों को पीएम मोदी के समर्थन का किया जिक्र
दरअसल, अनुराग ठाकुर ने इस कार्यक्रम में अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की तरक्की की बात की। उन्होंने 2023 में चंद्रयान-3 की सफलता और वैज्ञानिकों को पीएम मोदी के समर्थन का जिक्र किया। उन्होंने भारत की बढ़ती अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था, पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) के विकास और एक ही उड़ान में 104 सैटेलाइट लॉन्च करने जैसे मील के पत्थरों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि भारत 2035 तक अपना स्पेस स्टेशन बनाने और 2040 तक चांद पर इंसानों को भेजने का लक्ष्य बना रहा है।
DMK सांसद ने साधा निशाना
हालांकि अनुराग ठाकुर के इस बयान पर DMK सांसद कनिमोझी ने निशाना साधा है, साथ ही उन्होंने कहा कि एक सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्कूल के बच्चों से पूछ रहे हैं कि चांद पर पहला कदम किसने रखा था, और यह कह रहे हैं कि नील आर्मस्ट्रांग नहीं, बल्कि हनुमान जी थे। यह बहुत परेशान करने वाली बात है। विज्ञान, मिथक नहीं है। कक्षाओं में बच्चों को गलत जानकारी देना ज्ञान, तर्क और हमारे संविधान में लिखे वैज्ञानिक सोच का अपमान है। भारत का भविष्य जिज्ञासा को बढ़ावा देने में है, न कि तथ्यों को कहानियों से मिलाने में।