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हरिद्वार अर्द्धकुंभ 2027: भारतीय अखाड़ा परिषद ने की 10 प्रमुख स्नान तिथियों की घोषणा, जानें कब से कब तक अर्द्धकुंभ का होगा आयोजन

देहरादून। हरिद्वार में होने वाले 2027 के अर्द्धकुंभ मेले के लिए के लिए राज्य सरकार की तैयारी चल रही है। दरअसल, सीएम पुष्कर सिंह धामी से साथ हुई बैठक में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने हरिद्वार में 2027 के अर्द्धकुंभ मेले के लिए 10 प्रमुख स्नान तिथियों की घोषणा कर दी। यह मेला जनवरी से अप्रैल तक आयोजित होगा।
मेला अलग-अलग धार्मिक आयोजन होंगे
बता दें कि इसकी खास बात यह है कि इस बार साधु-संतों के लिए चार शाही अमृत स्नान निर्धारित किए गए हैं, जो सदियों पुरानी परंपरा में एक ऐतिहासिक परिवर्तन माना जा रहा है। यह मेला 17 जनवरी से शुरू होकर 30 अप्रैल 2027 तक चलेगा। इसमें अलग-अलग धार्मिक आयोजन होंगे। बैठक में 13 अखाड़ों के दो-दो सचिव या अधिकृत प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पहला शाही अमृत स्नान मार्च में शुरू होगा और अंतिम स्नान 20 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा के दिन आयोजित होगा। अखाड़ा परिषद के श्रीमहंत हरिगिरि महाराज द्वारा रखे गए सुझावों के बाद सीएम ने यह बैठक बुलाने का निर्णय लिया था।
कुंभ मेले में संत समाज की बड़ी भूमिका होती है
इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज सभी संतों ने कुंभ मेले के लिए अपना आशीर्वाद और सहयोग दिया है। कुंभ मेले में संत समाज की बड़ी भूमिका होती है... 2027 में होने वाला कुंभ बहुत दिव्य और भव्य हो, इसके लिए यहां हर तरह के इंतजाम किए जाएंगे। इस पर चर्चा हुई है... सरकार और प्रशासन की तरफ से सारे इंतज़ाम किए जाएंगे... हमारा कुंभ मेला 13 जनवरी, मकर संक्रांति से शुरू होगा... हमने इसकी तैयारियां पहले ही शुरू कर दी थीं, लेकिन आज हमने संत समाज का आशीर्वाद लेकर औपचारिक रूप से तैयारियां शुरू कर दी हैं।
प्रमुख पर्व स्नान तिथियां
14 जनवरी 2027: मकर संक्रांति
6 फरवरी 2027: मौनी अमावस्या
11 फरवरी 2027: बसंत पंचमी
20 फरवरी 2027: माघ पूर्णिमा
शाही अमृत स्नान तिथियां
6 मार्च 2027: महाशिवरात्रि (पहला अमृत स्नान)
8 मार्च 2027: सोमवती/फाल्गुन अमावस्या (दूसरा अमृत स्नान)
14 अप्रैल 2027: मेष संक्रांति/बैसाखी (तीसरा अमृत स्नान)
20 अप्रैल 2027: चैत्र पूर्णिमा (शाही अमृत स्नान का समापन)
अन्य महत्वपूर्ण तिथियां
7 अप्रैल 2027: नव संवत्सर
15 अप्रैल 2027: राम नवमी
2027 का अर्द्धकुंभ मेला विशेष व्यवस्थाओं और परंपराओं के साथ धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक उत्सव का भव्य स्वरूप पेश करेगा।




