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वक्फ संशोधन एक्ट पर हुई सुनवाई! SG तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल में जोरदार बहस, जानें बहस की मुख्य बात

Varta24 Desk
20 May 2025 1:44 PM IST
वक्फ संशोधन एक्ट पर हुई सुनवाई! SG तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल में जोरदार बहस, जानें बहस की मुख्य बात
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केंद्र ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जब पिछली सुनवाई में तीन मुद्दों पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया था तो याचिकाकर्ता ने अन्य मुद्दे क्यों उठाए हैं।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ संशोधन एक्ट पर सुनवाई हुई है। वहीं कोर्ट ने सुनवाई होते ही केंद्र और याचिकाकर्ताओं के बीच जोरदार बहस छिड़ गई। इस दौरान केंद्र ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जब पिछली सुनवाई में तीन मुद्दों पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया था तो याचिकाकर्ता ने अन्य मुद्दे क्यों उठाए हैं।

हालांकि इस पर याचिकाकर्ता का कहना है कि ऐसी कोई लिमिट नहीं थी कि अन्य मुद्दे नहीं उठाए जा सकते हैं। बता दें कि केंद्र की ओर से सॉलिसिट जनरल तुषार मेहता है जबकि वक्फ कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल पक्ष रख रहे थे।

तीन सवालों तक सीमित रखिए

दरअसल, सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट ने तीन सवाल अंतरिम राहत के लिए तय किए थे। हमने उनपर जवाब दाखिल किया, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने नए लिखित में नए सवाल दिए हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने वक्फ बोर्ड नियुक्ति, वक्फ बाय यूजर और सरकारी संपत्ति की पहचान जैसे तीन मुद्दों की चर्चा की थी। वहीं उन्होंने कहा कि इसे तीन सवालों तक सीमित रखिए।

हालांकि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तुषार मेहता की मांग का विरोध किया और कहा कि ऐसा कोई आदेश नहीं कि तीन मुद्दों पर ही अंतरिम राहत की सुनवाई होगी। कोर्ट ने इन मुद्दों की चर्चा की थी लेकिन यह नहीं कहा था कि सिर्फ इनकी बात होगी।

दूसरा पक्ष इसका विस्तार कर रहा है

वहीं सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई की बेंच मामला सुन रही थी और बेंच ने कपिल सिब्बल की बात पर सहमति जताते हुए कहा कि आदेश में मुद्दों को सीमित करने की बात नहीं लिखी है। एसजी तुषार मेहता ने फिर से कहा कि लेकिन कोर्ट में तीन की ही चर्चा हुई थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दूसरा पक्ष इसका विस्तार कर रहा है।

क्या आप वहां जाकर प्रार्थना नहीं कर सकते

बता दें कि कपिल सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद सीजेआई बीआर गवई ने कहा- खजुराहो में एक मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है, फिर भी लोग वहां जाकर पूजा-प्रार्थना कर सकते हैं। सिब्बल ने कहा कि नया कानून कहता है कि अगर कोई संपत्ति एएसआई संरक्षित है तो यह वक्फ नहीं हो सकती। वहीं सीजेआई ने पूछा कि क्या इससे आपका अपने धर्म का पालन करने का अधिकार छिन जाता है? क्या आप वहां जाकर प्रार्थना नहीं कर सकते?

वक्फ संपत्ति को रद्द माना जाता है

इसके बाद सिब्बल ने कहा कि हां, इस कानून में कहा गया है कि वक्फ संपत्ति को रद्द माना जाता है। कोर्ट ने उनसे फिर पूछा कि क्या इससे आपका धर्म पालन का अधिकार भी छिन जाता है? सिब्बल ने कहा- अगर किसी प्रॉपर्टी की वक्फ मान्यता ही खत्म हो जाती है, तो मैं वहां कैसे जा सकता हूं? सीजेआई ने कहा कि मैंने एक एएसआई संरक्षित मंदिर का दौरा किया, मैंने देखा कि भक्त वहां जाकर प्रार्थना कर सकते हैं। तो क्या इस तरह की घोषणा से आपका प्रार्थना करने का अधिकार छिन जाता है?

सिब्बल ने कहा कि अगर आप कहते हैं कि वक्फ मान्यता रद्द की जाती है तो इसका मतलब अब वह प्रॉपर्टी वक्फ नहीं। मेरा कहना है कि यह प्रावधान अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है। न्यायालय के रिकॉर्ड पर लिया कि याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन करता है और नागरिकों से उनकी धार्मिक प्रथाओं को जारी रखने का अधिकार छीन लिया जाएगा।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा बहुत दबाव है

कपिल सिब्बल ने कहा कि 1954 के बाद वक्फ कानून में जितने भी संशोधन हुए, उनमें वक्फ प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य था। अदालत ने पूछा- क्या वक्फ बाय यूजर में भी पंजीकरण अनिवार्य था। सिब्बल ने हां में जवाब दिया। अदालत ने कहा- तो आप कह रहे 1954 से पहले उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ का पंजीकरण आवश्यक नहीं था और 1954 के बाद यह आवश्यक हो गया। सिब्बल- इस बारे में कुछ भ्रम है, यह 1923 हो सकता है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बहुत दबाव है, सिर्फ हम पर ही नहीं बल्कि आप पर भी।

आर्टिकल 14, 25 और 26 का उल्लंघन

कपिल सिब्बल ने कहा कि मैं क्यों बताऊं कि मैं प्रैक्टिसिंग मुस्लिम हूं। मुझे पांच साल का इंतजार क्यों करना चाहिए? यह संविधान के आर्टिकल 14, 25 और 26 का उल्लंघन है। अगर कोई अतिक्रमणकारी विवाद पैदा करता है, तो यह वक्फ नहीं होगा। इस पर सीजेआई ने कहा कि आपके मुताबिक धारा 3 के प्रावधान के तहत अगर कोई विवाद उठाया जाता है, तो आपकी संपत्ति वक्फ होना बंद हो जाएगी। इस पर सिब्बल ने कहा कि हां, वो भी किसी भी स्थानीय अथॉरिटी के द्वारा।

वक्फ संपत्तियों को लेकर कई विवाद

सीजेआई ने कहा कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद में भी वक्फ संपत्तियों को लेकर कई विवाद हैं। इस पर सिब्बल ने कहा कि हां, अडंगा लगाना हमारे डीएनए में है। कोई भी ग्राम पंचायत या निजी व्यक्ति भी शिकायत दर्ज करा सकते है और संपत्ति वक्फ नहीं रह जाती क्योंकि विवाद पर सरकारी अधिकारी ही इसका फैसला करेगा और अपने मामले में खुद ही जज होगा। इस कानून की यह धारा अधिकारों का हनन करती है। यह अन्यायपूर्ण और मनमाना है। नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है।

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