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कर्नाटक में फिर भड़का हिजाब बनाम भगवा शॉल विवाद, कॉलेज ड्रेस कोड को लेकर तनाव

DeskNoida
6 Dec 2025 1:00 AM IST
कर्नाटक में फिर भड़का हिजाब बनाम भगवा शॉल विवाद, कॉलेज ड्रेस कोड को लेकर तनाव
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यह घटना राज्य में ड्रेस कोड की बहस को एक बार फिर से हवा दे रही है, जिसने बीते कुछ वर्षों में कई बार राजनीतिक और सामाजिक माहौल को गर्म किया है।

कर्नाटक में एक बार फिर कॉलेज ड्रेस कोड को लेकर विवाद सामने आया है। हावेरी जिले के अक्की अलूर गांव में स्थित सीजी बेल्लाड सरकारी कॉलेज में गुरुवार को माहौल तब तनावपूर्ण हो गया, जब विद्यार्थियों के दो समूह अलग-अलग धार्मिक और वैचारिक पहचान का प्रतीक बन चुके हिजाब और भगवा शॉल के साथ कक्षाओं में पहुंच गए। यह घटना राज्य में ड्रेस कोड की बहस को एक बार फिर से हवा दे रही है, जिसने बीते कुछ वर्षों में कई बार राजनीतिक और सामाजिक माहौल को गर्म किया है।

विद्यार्थियों के एक समूह ने आरोप लगाया कि कॉलेज प्रशासन ड्रेस कोड लागू करने में विफल रहा है। उनका कहना है कि उन्होंने कई बार शिकायत की, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। इसके विरोध में कुछ छात्र भगवा शॉल पहनकर कक्षा में पहुंचे, जबकि दूसरी तरफ कुछ छात्राओं ने हिजाब के साथ कक्षाओं में प्रवेश किया। इस टकराव ने न केवल कॉलेज प्रशासन को चुनौती दी, बल्कि कर्नाटक में शिक्षा व्यवस्था और धार्मिक पहचान के बीच जारी संघर्ष को भी फिर से उजागर किया।

कॉलेज के प्राचार्य वीरेश कमूर ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संस्थान के पास एक निर्धारित ड्रेस कोड है जिसे कक्षा के भीतर लागू किया जाना आवश्यक है। हालांकि, कभी-कभार कुछ छात्रों को छूट दी जाती है। उन्होंने स्वीकार किया कि विद्यार्थियों ने हिजाब पहनने वाली छात्राओं को लेकर शिकायत की थी, और उसी के विरोध में कुछ युवक भगवा शॉल के साथ कक्षा में पहुंचे। प्राचार्य ने बताया कि स्थिति को शांत करने के लिए जल्द ही कॉलेज प्रशासन, शिक्षकों और विद्यार्थियों के अभिभावकों की एक संयुक्त बैठक बुलाई जाएगी, ताकि इस मामले का स्थायी समाधान निकाला जा सके।

हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी जारी विवाद

गौरतलब है कि कर्नाटक में हिजाब विवाद नई बात नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में यह मामला अदालत तक पहुंचा था, जहां कर्नाटक उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि हिजाब इस्लाम में अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। बाद में उच्चतम न्यायालय ने भी इस फैसले को बरकरार रखा, जिससे संस्थानों को ड्रेस कोड लागू करने का अधिकार मिला और हिजाब पर प्रतिबंध कायम रहा।

हाल ही में केरल के कोच्चि के पल्लुरुथी स्थित सेंट रीटा पब्लिक स्कूल में भी इसी तरह का मामला सामने आया था, जहां आठवीं कक्षा की एक छात्रा को हिजाब पहनकर आने से रोक दिया गया था। केरल में इस घटना ने संस्थागत नियमों बनाम व्यक्तिगत धार्मिक अभिव्यक्ति की बहस को नया मोड़ दिया था।

आगे क्या?

कर्नाटक में फिर उठे इस विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि शैक्षणिक संस्थानों में ड्रेस कोड की प्राथमिकता क्या होनी चाहिए — अनुशासन और समानता, या व्यक्तिगत धार्मिक आज़ादी? फिलहाल हावेरी कॉलेज प्रशासन माता-पिता के साथ बैठक के जरिए माहौल शांत करने की कोशिश में जुटा है, लेकिन इस मुद्दे के राजनीतिक और सामाजिक पहलुओं को देखते हुए विवाद का पूरी तरह थमना आसान नहीं दिखता।

राज्य में बढ़ते तनाव और बार-बार उठने वाले इस मुद्दे ने साफ कर दिया है कि ड्रेस कोड अब केवल पोशाक का मामला नहीं रहा, बल्कि यह पहचान, विचारधारा और अधिकारों की बहस का केंद्र बन चुका है।

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