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सफलता की चाहत हो तो आदित्य देव को ऐसे मानाएं, जानें खरमास में सूर्य की आराधना क्यों की जाती है?

खरमास
खरमास हिंदू पंचांग के अनुसार एक विशेष अवधि होती है, जब सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं। यह समय लगभग एक महीने का होता है। इस दौरान सूर्य की आराधना के पीछे धार्मिक और आध्यात्मिक कारण माने जाते हैं। खरमास में सूर्य की पूजा इसलिए की जाती है ताकि जीवन में ऊर्जा और संतुलन बना रहे। आध्यात्मिक उन्नति हो ग्रह दोषों का प्रभाव कम हो स्वास्थ्य और मनोबल मजबूत रहे। खरमास का महीना 15 जनवरी तक रहेगा। ऐसे में जप-तप और दान-दक्षिणा का विशेष महत्व है। सूर्य की आराधना से कार्यों में सफलता मिलती है।
मुख्य कारण
1. सूर्य को जीवन का आधार माना गया है
सूर्य को प्राण, ऊर्जा और स्वास्थ्य का स्रोत माना जाता है। खरमास में सूर्य की स्थिति को अपेक्षाकृत कमजोर माना जाता है, इसलिए उनकी उपासना करके सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन प्राप्त किया जाता है।
2. मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं
खरमास में विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते। इसलिए यह समय भोग-विलास के बजाय पूजा, जप और दान के लिए उपयुक्त माना गया है, खासतौर पर सूर्य उपासना के लिए।
3. सूर्य नारायण को ग्रहों का राजा माना गया है
सूर्य सभी ग्रहों के स्वामी माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि उनकी आराधना से ग्रह दोषों का शमन और जीवन में स्थिरता आती है।
4. स्वास्थ्य और आत्मशुद्धि का समय
इस अवधि में प्रातः सूर्य को जल अर्पित करना, आदित्य हृदय स्तोत्र या गायत्री मंत्र का जप करना शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है। सूर्य देव के कई शक्तिशाली मंत्र हैं, जिनमें मुख्य हैं ॐ सूर्याय नमः, ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः (सूर्य बीज मंत्र), और ॐ घृणि सूर्याय नमः इनमें से किसी एक का जाप आप अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं।




