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मैं दिल्ली हूं, मगर दिल्ली जैसी नहीं: अधूरी सड़कें, जाम नालियां, कचरे के ढेर और अंधेरी गलियां बयां करते हैं जय विहार की बेबसी

DeskNoida
30 May 2025 9:16 PM IST
मैं दिल्ली हूं, मगर दिल्ली जैसी नहीं: अधूरी सड़कें, जाम नालियां, कचरे के ढेर और अंधेरी गलियां बयां करते हैं जय विहार की बेबसी
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बापरोला के हरफूल विहार और जय विहार की गलियों में इन दिनों हल्की बारिश के बाद ही जलजमाव की गंभीर समस्या सामने आ रही है। अधूरी सड़कों और अवरुद्ध नालियों ने इस वार्ड के निवासियों की परेशान बढ़ा दी है।

देश का सिरमौर है राजधानी दिल्ली, जहां बैठकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी "ऑपरेशन सिंदूर" को अंजाम देते हैं तो कभी देश को सशक्त बनाने के लिए नई-नई योजनाएं शुरू करते हैं। लेकिन उसी दिल्ली में कुछ इलाके ऐसे हैं जहां के निवासी आधुनिक सुविधाओं का सपना भी नहीं देख सकते क्योंकि यहां आजादी के 78 साल बाद भी लोग मूलभूत सुविधाओं के आभाव में जीवन बसर करने को मजबूर हैं। ऐसे ही क्षेत्र हैं पश्चिमी दिल्ली में बापरोला के हरफूल विहार और जय विहार।

वार्ड-111, बापरोला के हरफूल विहार और जय विहार की गलियों में इन दिनों हल्की बारिश के बाद ही जलजमाव की गंभीर समस्या सामने आ रही है। अधूरी सड़कों और अवरुद्ध नालियों ने इस वार्ड के निवासियों की परेशान बढ़ा दी है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि बरसात के मौसम से पहले ही सड़कें कीचड़ और पानी से लबालब हो जाती हैं। जगह—जगह कचरों का अंबार और कई ​गलियों में अंधेरे लोगों को डरा रही है। जनता है कि केवल अपना दु:ख ही हर कहीं बयान करती नजर आती है, लेकिन कोई उनकी सुनने वाला नहीं।

बता दें कि विशेष रूप से 10 नंबर गली, जो हरफूल विहार नाले को कॉलोनी से जोड़ती है और बजरंग चौक तक जाती है, बुरी तरह से प्रभावित है। यह सड़क रोजाना ऑफिस जाने वाले यात्रियों और रिक्शा चालकों के लिए मुख्य मार्ग है, लेकिन अब इसकी हालत इतनी खराब हो चुकी है कि यहां चलना तक मुश्किल हो गया है। कीचड़ और गड्ढों की वजह से रिक्शा पलटने की घटनाएं आम हो गई हैं, जिससे यात्रियों को चोटें भी आ रही हैं। पिछली सरकार ने इस सड़क के निर्माण की शुरुआत तो की थी, लेकिन नई सरकार बनने के बाद से काम अधूरा ही पड़ा है। क्षेत्रवासी अब भी अधूरी सड़कों के पूरे होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। यही सड़क आगे गांव से निकलती मुख्य सड़क की ओर जाती है, जो आज भी अधूरी है। पूरी सड़क नहीं बनने से वाहनों को उधर भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

भीमा गार्डन से जी ब्लॉक की ओर जाने वाली सड़क की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है। हल्की बारिश में भी यहां जलभराव हो जाता है। छठ घाट रोड से होते हुए सीधी एफ एवं जी ब्लॉक की ओर जाने वाली सड़क ट्रांस्फार्मर के आगे काफी दिनों से नहीं बन पाया है। वहां भी बरसात में जल जमाव एवं कीचड़ की समस्या उत्पन्न हो जाती है। दास गार्डेन की मुख्य सड़क जो सीधी बापरोला गांव की ओर जाती है, वहां भी निर्माण कार्य सुस्त है। यहां की ऐसी कई सड़कें हैं, जो अव्यवस्थित होने से यहां की जनता को बहुत दु:ख देती है।




क्षेत्र की यह समस्याएं चिंताजनक हैं और इन्हें लेकर यहां काम कर रही समाजसेवी संस्था पंचकोसी लगातार सक्रिय है। संस्था के अध्यक्ष सुशील देव ने बताया कि यहां गलियों की हालत जर्जर है और नालियां लगभग बंद पड़ी हैं। ऐसी स्थिति में गंदा पानी सड़कों पर फैलकर सड़क को कमजोर बनाता है। साथ ही, सफाई को लेकर हालात दिनोंदिन बद से बदतर होते जा रहे हैं। कूड़े के ढेर और जाम सीवर आम नजारा है। जनता में जन प्रतिनिधियों के प्रति असंतोष भरा है, ​जो काफी चिंताजनक है।

ज्ञात हो कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों द्वारा हाल ही में इस बावत बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। स्थानीय आरडब्लूए का कहना है कि सड़क, नाली, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं हर नागरिक का अधिकार हैं और सरकार को इन पर प्राथमिकता से काम करना चाहिए। स्थानीय निवासी एसके मंडल ने भी चिंता जताते हुए कहा कि बरसात के मौसम में उनके घर के सामने वाली गली में जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है, जिससे मक्खी-मच्छरों के साथ-साथ बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। यहाँ तक कि उनके घर की नींव तक प्रभावित हो रही है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि जब तक स्थायी समाधान संभव न हो, तब तक कम से कम मलवा डालकर जलभराव की समस्या से कुछ राहत दिलाई जाए। यदि समय रहते जरूरी कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले मानसून में यहां की स्थिति नरकीय हो सकती है। जनता उम्मीद कर रही है कि सरकार और प्रशासन जल्द ही ज़मीनी स्तर पर काम शुरू करेगा और उन्हें इस दयनीय स्थिति से निजात दिलाएगा।

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